सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट भी थे बागी, कई बार की थी बगावत लेकिन कांग्रेस को …

राजस्‍थान में मचा सियासी घमासान प्रदेश कांग्रेस में मतभेद की कलई खोल रहा है । बागी हुए सचिन पायलट के स्वर्गीय पिता राजेश पायलट ने भी कई बार पार्टी को बगावती चेहरा दिखाया था ।

New Delhi, Jul 13: राजस्‍थान कांग्रेस के दिग्‍गज नेता सचिन पायलट आज बागी हो गए हैं, पार्टी में उनका लेकर खेली जा रही राजनीति अब उनसे बर्दाश्‍त नहीं हो रही । सरकार की ओर से नोटिस मिलने के बाद से वो बिदक गए हैं । सचिन, सीएम हाउस में हुई बैठक में विप के बावजूद शामिल नहीं हुए हैं । सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट भी कांग्रेस में रहे, उन्‍होने ने कांग्रेस में रहते हुए एक बार कहा था कि पार्टी में जवाबदेही नहीं रही, पारदर्शिता नहीं रही और कुर्सी को सलाम किया जाने लगा । ये तो बस एक उदाहरण है, सचिन पायलट के पिता ने कई मौकों पर पार्टी से बगावत कर, सार्वजनिक तौर पर पार्टी को आईना दिखाने का काम किया था । लेकिन ये बात मानने वाली है कि, राजनीति में प्रवेश से लेकर अपनी अंतिम सांस तक वो कांग्रेस में ही रहे ।

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वायुसेना में थे राजेश पायलट
1945 में जन्मे राजेश पायलट ने भारतीय वायुसेना को करियर के तौर पर चुना । 13 साल उन्होंने देश की सेवा की, इसके बाद इस्तीफा दिया और राजनीति में आ गए । राजेश पायलट का राजनीति में प्रवेश गांधी परिवार के कारण हुआ । पायलट होने के नाते उनकी नजदीकियां संजय गांधी से काफी ज्यादा थीं, लेकिन बाद में वो राजीव गांधी के भी करीबी रहे, उन्‍होने इसके बाद कई चुनाव जीते । केन्‍द्र में भी काम किया । लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस में मची उथल-पुथल के बीच वो कई मौकों पर अपने तेवर दिखाते रहे हैं ।

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1997 का मामला
1997 में राजेश पायलट ने सीताराम केसरी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा था । हालांकि पायलट इसमें सफल नहीं हो पाए और सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट दोनों को हरा दिया । ये वो दौर था जब कांग्रेस बिना गांधी परिवार के नेतृत्व के चल रही थी । उस समय में कांग्रेस में अध्‍यक्ष पद के लिए चुनाव होना ही बड़ी बात थी । जिसके बाद सोनिया गांधी ने 1997 में कांग्रेस ज्वाइन की और 1998 में वो अध्यक्ष बनीं ।

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कांग्रेस नेतृत्‍व से हो गईं दूरिया
1999 में सोनिया गांधी ने कर्नाटक की बेल्लारी और यूपी की अमेठी सीट से चुनाव जीता । तब सोनिया के पीएम बनने की चर्चा थी,  जिससे नाराज होकर शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर जैसे बड़े कांग्रेस नेता पार्टी से अलग हो गए । राजेश पायलट भी इस दौरान पार्टी से खफा रहे, लेकिन उन्‍होने  हाथ का साथ नहीं छोड़ा । हालांकि उनकी नाराजगी का नतीजा ये रहा कि वो कांग्रेस नेतृत्व दूर हो गए ।

2000 में निधन, अपनाए थे बगावती तेवर
इसी तरह नवंबर 2000 में जब एक बार फिर कांग्रेस में अध्‍यक्ष पद का चुनाव हुआ और बागी नेता जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा तो राजेश पायलट ने जितेंद्र प्रसाद का साथ दिया । लेकिन 11 जून 2000  को हुई एक सड़क दुर्घटना में राजेश पायलट की मौत हो गई, दूसरी तरफ जितेंद्र प्रसाद भी चुनाव हार गए । सोनिया गांधी एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुन लीं गईं । राजेश पायलट कई मौकों पर बगावती तेवर अपनाते रहे, लेकिन ये भी सच है कि वो पार्टी से कभी अलग नहीं हुए ।