देश में आतंक फैलाने वालों की अब खैर नहीं, अमित शाह ने गठित किया ‘स्पेशल 44’, मददगारों पर ही होगा एक्शन

इस टीम में 44 स्पेशल अधिकारियों को शामिल किया जाएगा, जिसमें इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी), फाइनेंशियल इंटेलिजेंस (एरआईयू), आरबीआई, होम मिनिस्ट्री, सेबी, राज्यों की एटीएस, राज्यों की सीआईडी, समेत दूसरे विभाग के लोग शामिल होंगे।

New Delhi, Jul 27 : मोदी सरकार आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने वाले लोगों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है, सरकार ने UAPA संशोधन विधेयक के नये कानून के तहत दर्ज मामलों पर कार्रवाई करने के लिये नई टीम बनाई है, इस टीम को स्पेशल 44 का नाम दिया गया है, होम मिनिस्ट्री के सूत्रों ने कहा कि भारत में आतंक फैलाने या आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने वाले सभी व्यक्तियों की संपत्ति पर ये टीम नजर रखेगी।

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कौन-कौन होंगे इस टीम में
इस टीम में 44 स्पेशल अधिकारियों को शामिल किया जाएगा, जिसमें इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी), फाइनेंशियल इंटेलिजेंस (एरआईयू), आरबीआई, होम मिनिस्ट्री, सेबी, राज्यों की एटीएस, राज्यों की सीआईडी, समेत दूसरे विभाग के लोग शामिल होंगे, ये अधिकारी ऐसे लोगों पर नजर रखेगी जिनके खिलाफ UAPA कानून के तहत केस दर्ज किये गये है, ये अधिकारी आतंकियों की संपत्ति पर नजर रखेंगे, साथ ही उनकी संपत्ति जब्त करने से लेकर बैंक एकाउंट फ्रीज करने तक का आदेश देंगे।

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इस तरह करेगी काम
होम मिनिस्ट्री के सूत्रों के अनुसार इन 44 अधिकारियों को विदेश मंत्रालय यूएन द्वारा घोषित किये गये आतंकियों की सूची देगी, जिसे गृह मंत्रालय राज्यों के साथ साझा करेगी, गृह मंत्रालय का ये महत्वपूर्ण कदम है, जिसके तहत 44 विशेष अधिकारी विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करके जो व्यक्ति यूएपीए कानून के तहत दोषी होगा, उसकी छानबीन कर उसकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई तेज करेगी।

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UAPA के तहत कार्रवाई
गृह मंत्रालय ने नये UAPA कानून के तहत जो आतंकियों की सूची जारी की है, उनकी भी संपत्ति ढूंढकर जब्त करेगी, होम मिनिस्ट्री ने अब तक UAPA कानून के तहत दाऊद इब्राहिम, मसूद अजहर, जाकिर-उर-रहमान लखवी और हाफिज सईद को आतंकी घोषित किया है, साथ ही 9 खालिस्तानी आतंकियों को व्यक्तिगत तौर पर UAPA के तहत आतंकी घोषित किया गया है।

क्या है UAPA
UAPA एक बेहद सख्त कानून है, इसे आतंकवाद तथा देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधियों को रोकने के लिये बनाया गया है,  ये कानून संसद द्वारा 1967 में पारित किया गया था, उसके बाद इसमें कई संशोधन हो चुके हैं, इसके तहत आरोपी को कम से कम 7 साल की जेल हो सकती है।