सचिन पायलट की ‘घर वापसी’ के पीछे वसुंधरा राजे की रणनीति आई काम? पढ़िए सुलह की इनसाइड स्‍टोरी

सचिन पायलट की कांग्रेस में घर वापसी क्‍यों जरूरी थी, क्‍या इसके पीछे राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का हाथ था । राजे का बड़े नेताओं से मुलाक़ात करना और सचिन पायलट अगले ही दिन वापसी करना, बहुत कुछ इशारा करता है ।

New Delhi, Aug 12: एक महीने के सियासी ड़ामे के बाद सचिन पायलट कांग्रेस में वापस लौट गए हैं । राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाक़ात के बाद पायलट ने घर वापसी का रास्‍ता चुना, कहा जा सकता है कि अब राजस्थान का राजनीतिक संकट खत्म हो गया । पायलट और उनके समर्थक एक बार फिर गहलोत के साथ खड़े हो गए हैं । लेकिन इस घर वापसी का कारण क्‍या है । कयास लग रहे हैं कि वसुंधरा राजे की रणनीति इसके पीछे काम आई है । दरअसल जब नाराज सचिन पायलट को बीजेपी के दूसरे बड़े नेता कमल थामने का आह्वाहन कर रहे थे तो वसुंधरा चुप बैठीं रहीं ।

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पायलट को बीजेपी में लाने की पक्षधर नहीं थीं राजे
सूत्रों के अनुसार वसुंधरा राजे, कभी नहीं चाहती थीं कि सचिन पायलट और उनके समर्थक बीजेपी में आएं । इसी वजह से उन्‍होने राज्य इकाई को अपना विरोध पहले ही दर्ज करवा दिया था । इस कारण से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया हों या फिर  गजेंद्र सिंह शेखावत और ओम माथुर जैसे बड़े नेता, राजे के सामने उनकी एक नहीं चली । इसके बाद वसुंधरा राजे अचानक 5 अगस्त को दिल्ली पहुंच गईं, बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ उनकी मैराथन बैठक हुई । 7 अगस्त को वसुंधरा राजे ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाक़ात की । राजे यहीं नहीं चुप बैठीं, इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलीं । सभी मुलाकातें एक से डेढ़ घंटे की रहीं ।

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नाराजगी जता दी थी
दरअसल राजस्‍थान में वसुंधरा राजे बीजेपी की कद्दावर और मजबूत नेता है, 42 विधायकों का समर्थन उनको है । ऐसे में वसुंधरा ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को राजस्थान राजनीतिक घटनाक्रम पर अपनी राय से अवगत करा दिया था । उन्‍होने स्‍पष्‍ट कर दिया था कि वो पायलट गुट के बीजेपी में आवभगत की पक्षधर नहीं हैं और ना ही सचिन पायलट के थर्ड फ्रंट को किसी भी तरीके के समर्थन को चाहती हैं । हैरानी की बात है कि 6 से 8 अगस्त तक वसुंधरा दिल्‍ली में बैठक करती रहीं और 2 बाद ही सचिन पायलट ने राहुल-प्रियंका गांधी से मुलाक़ात के बाद घर वापसी कर ली । कह सकते हैं कि बीजेपी ने अपनी नेता को ऊपर रखते हुए पायलट को राजे की मंशा से अवगत करा दिया था, जिसके चलते उन्‍हें यू टर्न लेना पड़ा ।

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कांग्रेस के लिए अहम थी ये घर वापसी
अब बात कांग्रेस की, पार्टी के लिए सचिन पायलट का कद किसी भी तौर पर छोटे नेता का नहीं है । पिछले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट ने अपना सामर्थ्‍य बखूबी दिखाया है । कांग्रेस को भी 2022 और 2024 के लिए पायलट की सख्‍त जरूरत है । दरअसल, प्रियंका गांधी यूपी में कांग्रेस की 2022 के लिए जमीन तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं, यूपी की 55 विधानसभा सीटों और 15 लोकसभा सीटों पर गुर्जर मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं । ऐसे में पायलट की नाराजगी का असर इस पर जरूर देखने को मिलता । गुर्जर वोट बैंक के आंकड़े जब प्रियंका के सामने रखे गए तो, पायलट का मनाना जरूरी हो गया था ।

फारुख अब्दुल्ला रहे अहम कड़ी
सचिन पायलट की घर-वापसी के पीछे फारुक अब्दुल्ला भी एक अहम वजह हो सकते हैं, दरअसल अब्दुल्ला परिवार के गांधी परिवार से रिश्ते अच्छे हैं । पायलट, अब्‍दुल्‍ला परिवार के दामाद हैं । बताया जा रहा है कि फारुक और उमर अब्दुल्ला ने गुलाब नबी आजाद और अहमद पटेल के जरिए सचिन पायलट की वापसी की कोशिश शुरू की थी, जो धीरे – धीरे काम कर गई ।
युवा ब्रिगेड ने निभाया अहम रोल
कांग्रेस की युवा ब्रिगेड ने सचिन पायलट की वापसी को लेकर आलाकमान पर दबाव बनाया, भविष्‍य से अवगत कराया । दीपेंद्र हुड्डा और भंवर जितेंद्र सिंह,  सचिन पायलट और प्रियंका गांधी के बीच बातचीत का जरिया बने । वहीं कांग्रेस की एक लॉबी की गहलोत से नाराजगी भी पायलट की घर वापसी में अहम रही ।