2212 रुपये के चेक के लिये देने पड़े 55 लाख, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

महेन्द्र कुमार शारदा पर शुरुआत में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया गया, लेकिन बाद में दोनों पक्ष सेटमेंट के लिए तैयार हो गया।

New Delhi, Sep 06 : गलती छोटी हो या बड़ी कानून की नजर में सब एक बराबर होते हैं, लिहाजा कई बार छोटी गलती भी किसी को भारी पड़ जाती है, ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिला है, जहां एक शख्स ने 26 साल पहले यानी साल 1994 में फर्जी अकाउंट खोलकर चेक के जरिये 2212.5 रुपये निकाल लिये, अब हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का चक्कर काटने के बाद उस शख्स को 55 लाख रुपये वापस देने पड़े, सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक आरोपों से इन्हें बरी कर दिया, लेकिन जुर्माने के तौर पर 5 लाख रुपये देने पड़े, इसके साथ ही शिकायत के सेटलमेंट के लिये 50 लाख अलग से देने पड़े, यानी 55 लाख रुपये देकर ये मामला खत्म हुआ।

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क्या है पूरा मामला
महेन्द्र कुमार शारदा मई 1992 में ओम माहेश्वरी नाम के शख्स के यहां बतौर मैनेजर काम करते थे, माहेश्वरी उन दिनों दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य थे, court साल 1997 में माहेश्वरी ने दिल्ली में शारदा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया, जिसमें उन्होने आरोप लगाया कि उनके मैनेजर शारदा ने गैरकानूनी तरीके से उनके नाम पर अकाउंट खोल दिये, इसके बाद चेक के जरिये कमीशन और ब्रोकरेज के पैसे निकाल लिये, शारदा ने तब 2212.50 रुपये निकाले थे।

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हाईकोर्ट का फैसला
महेन्द्र कुमार शारदा पर शुरुआत में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया गया, लेकिन बाद में दोनों पक्ष सेटमेंट के लिए तैयार हो गया, COURT हालांकि इस साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने शारदा पर लगे आरोपों को खारिज करने से इंकार कर दिया, कोर्ट ने कहा कि ये गंभीर आरोप हैं।

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और आरोपी ने कहा कि वो 50 लाख रुपये देकर मामले को खत्म करना चाहते हैं, न्यायमूर्ति संजय के कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने महेन्द्र कुमार शारदा के वकील से सवाल किया, कि इस मामले को सुलझाने और न्यायिक प्रक्रियाओं का उपयोग करने में 2 दशक से ज्यादा समय क्यों लगा, कोर्ट ने न्यायिक समय बर्बाद करने के लिये शारदा पर 5 लाख का जुर्माना लगाया, साथ ही 50 लाख पार्टी को देने को कहा, अब 15 सितंबर को उनकी दलील सुनने के बाद शारदा के भविष्य का फैसला सुनाया जाएगा।