भारत और जापान के बीच जबरदस्‍त डील, चीन के मंसूबे मिट्टी में मिल जाएंगे

भारत और जापान के बीच एक ऐसा समझौता हुआ है जिसके बाद चीन की टेंशन जबरदस्‍त तरीके से बढ़ने वाली है । सैन्‍य सेवाओं को लेकर हुई ये डील चीन को मिर्ची लगाएंगी ।

New Delhi, Sep 12: भारत और जापान के बीच एक बड़ी डील हुई है, इस डील की जानकारी के बाद चीन कोई भी हरकत करने से पहले हजार बार सोचेगा । मिली जानकारी के अनुसार भारत और जापान की यह डील सैन्य बलों की आपूर्ति और सेवाओं के आदान-प्रदान को लेकर की गई है । यानी, युद्ध के हालातों में भारत और जापान एक दूसरे को हर प्रकार की सैन्य सहायता मुहैया कराएंगे । आपको बता दें इससे पहले भी भारत अमेरिका, फ्रांस समेत  दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया से इस तरह की डील कर चुका है ।

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करार पर हुए दस्‍तखत
भारत के रक्षा सचिव अजय कुमार और जापान के राजदूत सुजूकी सतोशी ने म्यूचुअल लॉजिस्टिक सपोर्ट अरेंजमेंट समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं । आपको बता दें इससे पहले साल 2016 में भारत और अमेरिका के बीच जो डील हुई थी, उसका नाम – द लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) है । इस समझौते के तहत भारत को अमेरिकी सैन्य बेस जिबौती, डिएगो गार्सिया, गुआम और सुबिक बे में ईंधन के साथ – साथ आवाजाही की भी पूर्ण अनुमति है ।

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हिंद महासागर में भारत की घेराबंदी
चीन के साथ सीमा विवाद के चलते भारत की ओर से हिंद महासागर में चीन की घेराबंदी तेज कर दी गई है । आपको बता दें भारत और जापान के बीच हुआ ये ऐतिहासिक रक्षा समझौता बेहद अहम माना जा रहा है, समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे से फोन पर बात भी की । मोदी और आबे दोनों ने रक्षा सौदे के लिए एक दूसरे का आभार जताया । आपको बता दें भारत और जापान के बीच ऐसा समझौता पहली बार हुआ है । डील के तहत जापान के साथ सशस्त्र बलों को परस्पर सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी ।

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हिंद महासागर में मिलेगी बढ़त
भारत और जापान के बीच रणनीतिक संबंध पहले से मजबूत रहे हैं, लेकिन मौजूदा हालात में जब भारत और चीन के बीच टकराव के हालात है तब इस डील से हिंद महासागर में चीन के हौसले पस्‍त किए जा सकते हैं । डील के बाद भारत हिंद महासागर में भी अब रणनीतिक बढ़त ले सकता है । जापान की ओर से अब भारतीय सेनाओं को अपने अड्डों पर जरूरी सामग्री की आपूर्ति हो सकेगी, भारतीय सेनाओं के रक्षा साजो सामान की सर्विसिंग भी हो सकेगी । डील के बाद यह सुविधा भारतीय सैन्य अड्डों पर जापानी सेनाओं को भी दी जाएगी । मोदी और आबे दोनों को उम्मीद है कि यह डील दोनों देशों के रक्षा सहयोग को और गहराई देगा ।

जापान की ओर से जारी बयान
जापान के विदेश मंत्रालय द्वारा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देगा ।  ऐसी उम्मीद है कि इस डील से जापानी और भारतीय सशस्त्र बलों के बीच आपूर्ति और सेवाओं के सुचारू और शीघ्र आदान-प्रदान की सुविधा मिलेगी । वहीं भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से भी कहा गया है कि भारत और जापान के सशस्त्र बलों के बीच आपसी सहयोग बढ़ने के साथ-साथ दोनों देशों के मध्य विशेष रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी के तहत द्विपक्षीय रक्षा गतिविधियों में और बढ़ोतरी होगी । आपको बता दें साल 2018 में भारत ने फ्रांस के साथ समझौता किया था, जिसके तहत भारतीय नौसेना फ्रांस के नौसैनिक अड्डों पर रीयूनियन आइलैंड्स, मैडागास्कर और जिबौती पर रुक सकती है और वहां की सैन्य सेवाएं ले सकती है । वहीं ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए MLSA समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया और भारत अपने युद्धपोत इंडियन ओशन रीजन और पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग करेंगे, साथ ही सुविधाओं का आदान-प्रदान करेंगे ।