रघुवंश बाबू ने बताई राजद छोड़ने की वजह, लालू परिवार पर इशारों में कही बड़ी बात!

रघुवंश बाबू ने अपने लेटर में ये भी आरोप लगाया है कि आज कुछ राजनीतिक पार्टियां टिकटों की खरीद बिक्री करने में लगी हुई है, जो लोकतंत्र के लिये खतरा है।

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New Delhi, Sep 12 : पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह की तबीयत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है, उनका दिल्ली एम्स में इलाज जारी है, इस बीच वो कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं, राष्ट्रीय जनता दल से इस्तीफा देने के बाद उन्होने संदर्भ शीर्षक से एक पत्र अपने लेटर हैड पर लिखा है, जिसमें उन्होने अपने व्यथा-कथा सुनाने के साथ ही राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद पर बड़ा हमला बोला है।

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लालू परिवार पर हमला
इस लेटर के जरिये उन्होने राजनीति की शुचिता की बात की है, लेकिन माना जा रहा है कि उनका सीधा हमला लालू प्रसाद यादव के परिवार पर है, उन्होने परिवारवाद वाली राजनीति को लेकर काफी कुछ कहा है, आइये आपको बताते हैं कि रघुवंश बाबू ने अपने लेटर में क्या क्या लिखा है।

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लोकतंत्र पर खतरा
वर्तमान में राजनीति में इतनी गिरावट आ चुकी है, जिससे लोकतंत्र पर खतरा है, महात्मा गांधी, बाबू जय प्रकाश नारायण, डॉ. लोहिया, कर्पूरी ठाकुर के नाम और विचारधारा पर लाखों लोग लगे रहे, तमाम कठिनाइयां सही, लेकिन डगमग नहीं हुए, लेकिन अब समाजवाद की जगह सामंतवाद, जातिवाद, वंशवाद, परिवारवाद, सुंप्रदायवाद आ गया है, ये सभी उतनी ही बुराइयां हैं, जिसके खिलाफ समाजवाद का जन्म हुआ था, अब इन पांचों महान पुरुष की जगह एक ही परिवार के 5 लोगों की तस्वीर छपने लगी है, पद हो जाने से धन कमाना और धन कमाकर ज्यादा लाभ वाला पद खोजना, राजनीति की परिभाषा के अनुसार इन सभी बुराइयों से लड़ना है, राजद संगठन को मजबूत करने से उद्देश्य से ही पार्टी में संगठन और संघर्ष को मजबूत करने के लिये लिखा, लेकिन किसी ने पढने तक का कष्ट नहीं किया।

टिकटों की खरीद बिक्री
रघुवंश बाबू ने अपने लेटर में ये भी आरोप लगाया है कि आज कुछ राजनीतिक पार्टियां टिकटों की खरीद बिक्री करने में लगी हुई है, raghuvansh 2 जो लोकतंत्र के लिये खतरा है, इससे कार्यकर्ताओं की भी हक मारी जा रही है, बता दें कि गुरुवार को रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस्तीफा दे दिया था, जिसे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने नामंजूर कर दिया है, हालांकि रघुवंश प्रसाद के करीबियों का कहना है, कि उनका राजद में लौटना अब नामुमकिन सा है।