वास्‍तु उपाय: घर में है पूजा घर, तो इन चीजों का जरूर रखें ध्यान, वरना मिलेगा अशुभ फल

घर का सबसे पवित्र स्थान होता है, पूजा घर । जानें वास्तु के अनुसार घर में पूजा स्थल किस दिशा में होना चाहिए, साथ ही जगह का चुनाव करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना आवश्‍यक है ।

New Delhi, Sep 18: घर में पूजा स्‍थल को सबसे पवित्र माना जाता है । प्रत्‍येक घर में एक कोना भगवान के नाम जरूर होता है । वास्‍तु में पूजा घर को लेकर कुछ खास बातें बताई गई हैं । खासतौर पर कुछ सावधानियां बताई गई हैं, जिनको ध्‍यान में रखकर ही पूजा स्‍थल बनाना चाहिए, या वहां पूजा होनी चाहिए । आगे जानें कुछ ऐसे ही नियम और उपाय पूजा घर से जुड़े हुए ।

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किस दिशा में हो पूजा घर
पूजा घर उत्तर पूर्व दिशा में बनाना चाहिए । इसे ईशान कोण कहा जाता है । शास्‍त्रों में इस स्थान को पूजा के लिए सबसे उपयुक्त बताया गया है। इसके अलावा  उत्तर पूर्व दिशा में पूजा घर का होना उत्तम बताए जाने का भी एक कारण है, जब वास्तु को धरती पर लाया गया तथा उस समय उनका शीर्ष उत्तर पूर्व दिशा में ही था। इसी वजह से ये दिशा पवित्र कामों के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है ।

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इस जगह ना करें मंदिर बनाने की गलती
वास्तु अनुसार घर में मंदिर कभी भी शयनकक्ष या फिर बेडरूम में नहीं बनाना चाहिए। अगर आपके घर में जगह ना हो और किसी वजह से आपको बेडरूम में मंदिर बनाना पड़े तो मंदिर पर पर्दा जरूर डालकर रखें। जब भी आप सोने जाएं तो मंदिर पर पर्दा जरूर कर दें। इसके अलावा मंदिर कभी भी सीढि़यों के नीचे, शौचालय या बाथरूम के बगल में या फिर बेसमेंट में भी नहीं बनाना चाहिए ।

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इन बातों का रखें ध्यान
घर के मंदिर में कुलदेवता का चित्र होना बहुत जरूरी होता है। पूजा घर का दरवाजा टिन या लोहे की ग्रिल का नहीं होना चाहिए। घर के मंदिर में 7 या 9 इंच से बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। ध्‍यान रखें घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, तीन देवी प्रतिमा और दो शालिग्राम एक साथ नहीं रखने चाहिए। ऐसा करते हैं तो घर के मुखिया को शांति नहीं मिलती है । पूजा घर में सफेद या फिर हल्के क्रीम कलर का रंग होना चाहिए। पूजा घर के द्वार पर दहलीज जरूर बनवानी चाहिए। पूजा करते हुए मूर्ति के आमने सामने नहीं बल्कि दाएं कोण में बैठना चाहिए।  साफ सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए।