जवाहर लाल नेहरु पर कुमार विश्वास ने कही ऐसी बात, वीडियो हो रहा वायरल!

वीडियो में कुमार विश्वास जश्न-ए-रेख्ता में बोलते दिख रहे हैं, वो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु से जुड़ा एक किस्सा सुना रहे हैं।

New Delhi, Nov 23 : रॉकस्टार कवि कुमार विश्वास का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वो देश के महान राजनीतिक हस्ती पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की बात कर रहे हैं, उन्होने ये वीडियो 29 जून 2020 को ट्वीट करते हुए ट्विटर पर लिखा था असली गांधी हो, नेहरु हो, नेताजी सुभाष हो, लोहिया हो, जयप्रकाश हो, शास्त्री जी हों, पूर्वजों को वोट बैंक या बाजार के हिसाब से नहीं पूजना चाहिये, हमारी औकात नहीं कि हम अपने महान पूर्वजों के उन परिस्थितियों के लिये निर्णयों पर तपसरा करें, अतीत पर रोना नहीं, चिंतन करना चाहिये और सीखना चाहिये।

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जश्न-ए-रेख्ता
वीडियो में कुमार विश्वास जश्न-ए-रेख्ता में बोलते दिख रहे हैं, वो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु से जुड़ा एक किस्सा सुना रहे हैं, वो कहा हैं कि नेहरु जी का जन्मदिन था, सारे बड़े कवि आये थे हिंदुस्तान के, बच्चन जी (हरिवंश राय बच्चन) ने कवि गोष्ठी रखी, नागार्जुन किसी संदर्भ में बच्चन जी से मिलने गये थे, इंदिरा जी ने नागार्जुन को पहले सुना था, वो उन्हें इंदु कहकर बुलाते थे, इंदिरा जी बच्चन साहब को बुलाने उनके कोठी पर पहुंचे, तो नागार्जुन को देख कहा, कि आप भी चलिये, तो इस पर नागार्जुन बोले, कि इंदु तुम्हारे पिता हमारी कविता नहीं सुन पाएंगे।

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इंदिरा जी ने आग्रह किया
कुमार कहते हैं कि इंदिरा जी ने नागार्जुन से बहुत आग्रह किया, तो चले आये, ताकत देखिये हिंदुस्तान का इतना बड़ा मसीहा, आज के लोगों की तो क्या ताकत होगी, कुछ भी फैला लो, व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी पर अपना सिलेबस भेजते रहे, हिंदुस्तान की आजादी की आंखों में भांखड़ा नांगल बांध, आईआईटी और आईआईएण का ख्वाब देने वाला आदमी आपको पसंद नहीं है, तो ये आपकी दिक्कत है।

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नागार्जुन ने कविता पढी
कुमार विश्वास ने आगे कहा, क्या कहने वाले का कलेजा होगा और क्या सुनने वाले का जब्त होगा, वो आदमी जिसे नासिरप, टीटो सलाम करते थे, Kumar Vishwas61 वो आदमी जिसे अमेरिका और रुस अपने खेमे में लेना चाहते थे, वो आदमी जो गांधी का दत्तक पुत्र माना जाता था, उस आदमी का सामने बिठाकर एक नौजवान कवि नागार्जुन ने कविता पढी, वतन बेचकर पंडित नेहरु फूले नहीं समाते हैं, फिर भी गांधी की समाधि पर झुक-झुक फूल चढाते हैं, और ये कविता नेहरु ने सुनी, उन्होने ये नहीं कहा कि इसे ईडी का समन भेज दो, उनके घर सीबीआई और पुलिस भेज दो।

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