पिता रामविलास के ‘सपने’ को बचा पाएंगे चिराग पासवान?, 15 साल में 29 से 1 सीट पर पहुंची!
लोजपा की स्थापना साल 2000 में रामविलास पासवान ने की थी, दलित समुदाय के लोकप्रिय नेता के रुप में उभरे पासवान धीरे-धीरे पार्टी को मुख्यधारा से जोड़ा।
New Delhi, Nov 26 : बिहार में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू ने एनडीए गठबंधन में रहते हुए जीत हासिल की, नीतीश कुमार के एक बार फिर सीएम बनने का सपना पूरा हुआ, हालांकि एनडीए से अलग होकर बिहार में किस्मत आजमाने का फैसला लेने वाले चिराग पासवान की किस्मत अच्छी नहीं रही, चिराग की पार्टी सिर्फ एक सीट ही जीत सकी, जबकि अन्य सीटों पर उसे हार नसीब हुई, चौंकाने वाली बात ये है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार में सहानुभूति फैक्टर का चिराग को कोई फायदा नहीं हुआ, और पार्टी ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
पहले चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन
आपको बता दें कि लोजपा की स्थापना साल 2000 में रामविलास पासवान ने की थी, दलित समुदाय के लोकप्रिय नेता के रुप में उभरे पासवान धीरे-धीरे पार्टी को मुख्यधारा से जोड़ा, पहली बार 2004 लोसभा चुनाव में उतारा, पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए चार सीटें हासिल की, तब लोजपा कांग्रेस और राजद के साथ यूपीए गठबंधन का हिस्सा थी, यूपीए की चुनाव में जीत के साथ ही पासवान को गठबंधन सरकार में केमिकल एंड फर्टिलाइजर मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली।
कांग्रेस के लड़ते हुए सबसे ज्यादा सीटें
इसके बाद फरवरी 2005 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ लड़ते हुए लोजपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था, उनकी पार्टी 29 सीटें जीती, तब पासवान किंगमेकर थे, लालू और नीतीश दोनों उन्हें अपने खेमे में लेना चाहते थे, लेकिन तब उन्हें मुस्लिम सीएम और दलित पीएम का राग अलापा था, जिसकी वजह से बिहार में कोई सरकार नहीं बनी, राष्ट्रपति शासन रहा, फिर 6 महीने बाद अक्टूबर 2005 में चुनाव हुए, तो पासवान की पार्टी 10 सीटों पर सिमट गई। तब से लेकर अब तक लोजपा हर चुनाव में कम ही होती जा रही है। इस चुनाव में तो सिर्फ 1 सीट जीत सकी। ऐसे में लोजपा को फिर से मुख्यधारा की पार्टी बनाना चिराग के लिये मुश्किल काम साबित होने वाला है।
घर के लोग भी नहीं बचा पाए सीट
राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जमुई से सांसद हैं, प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज समस्तीपुर से सांसद हैं, हालांकि विधानसभा चुनाव में उतरे चिराग के बहनाई मृनाल पासवान उर्फ धनंजय राजापाकर सीट से तीसरे स्थान पर रहे, उन्हें 24 हजार वोट मिले, पारिवारिक सीट रोसड़ा से प्रिंस राज के छोटे भाई किशन राज भी बुरी तरह से हारे। उन्हें भी 23 हजार से कम वोट मिला।