बिहार चुनाव में फ्लॉप होकर मुश्किल में चिराग पासवान, NDA में नहीं मिल रहा भाव, परिवार ने भी उठाये सवाल!

चिराग पासवान को कब किससे और कैसी बात करनी है, किसी के साथ कैसे पेश आना है, सारी रणनीति सौरभ के हिसाब से तय होती है।

New Delhi, Dec 11 : बिहार चुनाव में मिली करारी हार के बाद बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने का सपना देखने वाले लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने चुप्पी साध ली है, वो संभलकर और बचकर बोल रहे हैं, हालत ऐसी हो गई है कि अपने भी नसीहत देने लगे हैं, नीतीश कुमार की अगुवाई में जब एनडीए की नई सरकार बनी, तो चिराग ने अपने तरीके से बधाई दी, लेकिन उन्हें कोई भाव नहीं मिला, यहां तक कि सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिये निमंत्रण भी नहीं मिला, सवाल ये उठ रहा है कि चिराग के इस हश्र के लिये उनके अलावा और कौन जिम्मेदार है।

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मित्र ने बनाया था अकेले चुनाव लड़ने का फॉर्मूला
बताया जा रहा है कि चिराग अपनी पारटी में सबसे ज्यादा किसी पर भरोसा करते हैं, तो वो उनके करीबी दोस्त सौरभ पांडेय हैं, चिराग के सारे फैसले सौरभ लेते हैं, लोजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बनारस के मूल निवासी सौरभ पांडेय के पिता मणिशंकर पांडेय यूपी में पार्टी के अध्यक्ष हैं, साये की तरह हमेशा चिराग के साथ रहने वाले सौरभ को लेकर लोजपा के वरिष्ठ नेताओं में अच्छी धारणा नहीं है, इसकी वजह है सौरभ से ज्यादा चिराग किसी को तवज्जो नहीं देते हैं, किसी दूसरी नेता की ज्यादा बात भी नहीं सुनते हैं, चुनाव में भी नहीं सुनी और सारे फैसले सौरभ के हिसाब से ही लिये जाते रहे, बिहार में अकेले चुनाव लड़ने के फैसले को भले ही चिराग खुद का बताते हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों का दावा है कि ये फॉर्मूला भी सौरभ ने ही बनाया था।

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अपने हिसाब से चिराग की रणनीति
चिराग पासवान को कब किससे और कैसी बात करनी है, किसी के साथ कैसे पेश आना है, सारी रणनीति सौरभ के हिसाब से तय होती है, इसके लिये कभी-कभी पार्टी प्रवक्ता अशरफ अंसारी की मदद ले ली जाती है, अंसारी भी चिराग के ईद-गिर्द ही जमे रहते हैं, अशरफ का एक भाई देश के एक नामी मीडिया हाउस में काम करते हैं।

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लोजपा विजन डॉक्यूमेंट बनाने में बड़ी भूमिका
चुनाव से पहले लोजपा के बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विजन डॉक्यूमेंट्स को तैयार कराने में भी सौरभ पांडेय की बड़ी भूमिका रही, इस बार लोजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि विजन डॉक्यूमेंट्स को कैसे तैयार कराया गया, इसके बारे में सौरभ पांडेय और अशरफ अंसारी के अलावा चिराग के चंद करीबियों को जानकारी थी, चिराग की राजनीति की पूरी स्क्रिप्ट सौरभ ही तैयार करते रहे हैं, मंच पर भाषण देना हो, या मीडिया से बात करना, सौरभ ही चिराग को गाइड करते हैं, लोजपा के एक नेता ने बताया कि सौरभ ने चुनाव में उम्मीदवारों को टिकट वितरण में बड़ी भूमिका निभाई थी।

चिराग के बालहठ ने सब चौपट कर दिया
चिराग के जीजा तथा राजद के वरिष्ठ नेता अनिल कुमार साधु ने चिराग को नकली हनुमान कहा, उन्होने कहा कि बाल हठ में उन्होने अपने ही घर को जला लिया, रामविलास जी ने मेहनत से लोजपा को खड़ा किया था, उनके सबसे अच्छे रिश्ते थे, लेकिन उनके जाते ही सब चौपट हो गया, चिराग से मेरे पारिवारिक रिश्ते हैं, वो मुझसे छोटे भी हैं, इसलिये उनके अच्छे-बुरे काम का असर मुझ पर भी पड़ेगा। मैं लोजपा का संस्थापक सदस्य था, 2005 में पार्टी के 29 विधायक थे, लेकिन आज 135 पर जीतकर शून्य पर खड़े हैं, एक जीता भी है, तो अपने दम पर जीता है, उसकी जीत में चिराग का कोई योगदान नहीं है। दूसरी ओर रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी ने नीतीश-लालू को अच्छा बताया उन्होने कहा कि चिराग को इतनी सीटों पर नहीं लड़ना चाहिये था, चिराग मेरा बेटा है, भले मां दो हो, लेकिन पिता तो एक ही थे, मां होने के नाते मैं सलाह दे सकती हूं, नीतीश ने अच्छा काम किया है, तो जनता ने भरोसा किया, शराब बंद करके ठीक किया।