नेहरू को लेकर हुआ एक और बड़ा खुलासा, प्रणब मुखर्जी की किताब से सच आया सामने

पूर्व दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब से एक बड़ा सच सामने आया है, ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है ।

New Delhi, Jan 06: पूर्व दिवंगत राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ इन दिनों राजनीतिक गलियों में चर्चा का विषय है । इस किताब में प्रणब मुखर्जी ने कई ऐसी बातें बताई हैं जो बहुत ही कम लोग जानते हैं । इस किताब में जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा एक सच भी सामने आया है जहां प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम साह का नेपाल को भारत का प्रांत बनाने का ऑफर ठुकरा दिया था ।

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नेहरू ने ठुकराया, जबकि इंदिरा …
इस किताब के 11वें अध्याय ‘माई प्राइममिनिस्टर-डिफ्रेंट स्टाइल्स, डिफ्रेंट टेम्परामेंट्स,’ में प्रण मुखर्जी लिखते हैं- ‘अगर नेहरू की जगह इंदिरा गांधी होतीं तो सिक्किम की तरह ही शायद इस मौके को भी हाथ से नहीं जाने देतीं।’ अपनी इस किताब में पूर्व प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपति के बारे में मुखर्जी ने काफी कुछ लिखा है । उन्‍होंने लिखा कि लाल बहादुर शास्त्री का तरीका नेहरु से बिल्कुल अलग था, एक ही पार्टी से होते हुए भी अलग-अलग प्रधानमंत्रियों के सोचने और काम करने का तरीका एक दूसरे अलग था ।

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नेहरू ने ये कहा था …
नेपाल को भारत का प्रांत बनाए जाने का ऑफर ठुकराने को लेकर मुखर्जी लिखते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू ने नेपाल के साथ बेहद कूटनीतिक तरह से संबंध रखा । नेपाल में राना के शासन की जगह राजशाही आने पर नेहरू ने वहां लोकतंत्र स्थापित करने की इच्छा जाहिर की थी । खास बात ये कि नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम साह ने नेपाल को भारत का प्रांत बनाने की सलाह दी थी, लेकिन नेहरू ने यह कहते हुए इस ऑफर को ठुकरा दिया था कि नेपाल स्वतंत्र राष्ट्र है और इसे स्वतंत्र ही रहना चाहिए ।

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पीएम मोदी पर भी मुखर्जी ने खुलकर रखी राय
प्रणब मुखर्जी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स, 2012-2017’ में नरेन्‍द्र मोदी सरकार को लेकर भी काफी कुछ लिखा है, उन्‍होंने लिखा कि नरेंद्र मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में संसद को सुचारू रूप से चलाने में विफल रही और इसकी वजह उसका अहंकार और अकुशलता है । उन्‍होंने नोटबंदी के बारे में लिखते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करने से पहले उनके साथ इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की थी । मुखर्जी ने अपनी किताब में राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने सौहार्दपूर्ण संबंधों का भी उल्लेख किया है । लिखा है –  ‘चाहे जवाहरलाल नेहरू हों, या फिर इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी अथवा मनमोहन सिंह हों, इन्होंने सदन में अपनी उपस्थिति का अहसास कराया।  प्रधानमंत्री मोदी को अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से प्रेरणा लेनी चाहिए और नजर आने वाला नेतृत्व देना चाहिए।’ 2014 में कांग्रेस की हार को लेकर भी इस किताब में उल्‍लेख है ।