पीएम मोदी के दांव से चीन में हड़कंप, पड़ोसी देश को हजम नहीं हो रही भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी!
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सीरम इंस्टीट्यूट में आग लगने की घटना के बाद भारत के वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पर सवाल खड़े किये हैं।
New Delhi, Jan 25 : देश में कोरोना संक्रमण के खिलाफ युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन चल रहा है, दूसरी ओर भारत ने अपने पड़ोसी देशों की ओर भी मदद का हाथ बढाया है, भारत अपने करीब दस पड़ोसी देशों को वैक्सीन सप्लाई करने जा रहा है, जिसमें भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, और सेशेल्स को वैक्सीन भेजी जा रही है, इसके अलावा श्रीलंका, अफगानिस्तान और मॉरिशस से बात चल रही है, कोरोना वैक्सीन में भारत की इस कामयाबी को पड़ोसी देश चीन हजम नहीं कर पा रहा है, लिहाजा चीन मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन का दुष्प्रचार करने में जुटा है।
क्षमता पर सवाल
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सीरम इंस्टीट्यूट में आग लगने की घटना के बाद भारत के वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पर सवाल खड़े किये हैं, अखबार ने ये भी दावा किया है कि चीन में रहने वाले भारतीय चीनी वैक्सीन को तरजीह दे रहे हैं, बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि पेशेंट्स राइट्स ग्रुप ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क का कहना है कि सीरम ने कोविशील्ड को लेकर बीजिंग स्टडी को पूरा नहीं किया है।
गरीब देशों को कम रेट का ऑफर
रिपोर्ट के अनुसार चीन ने बहुत कम रेट पर उन देशों को वैक्सीन देने का ऑफर दिया है, जहां वह राजनीतिक और आर्थिक रुप से अपने पैर पसारना तथा प्रभाव जमाना चाहता है, इसमें नेपाल और मालदीव भी शामिल है, हालांकि नेपाल में ड्रग रेगुलेटर ने अभी तक चीनी वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है, जबकि मलादीव सरकार के सूत्रों का दावा है कि चीन की तरफ से कोरोना वैक्सीन की किसी भी तरह की सप्लाई को लेकर कोई संकेत नहीं मिले हैं।
चीन की कंपनी ने भी तैयार की है वैक्सीन
बीजिं की दवा निर्माता कंपनी साइनोवैक कोरोनावैक नामक वैक्सीन का निर्माण कर रही है, जो एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है, ये वायरस के कणों को मार देता है, ताकि शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस के खिलाफ काम करना शुरु करे, इसमें गंभीर बीमारी के असर का खतरा नहीं होता है, आपको बता दें कि भारत ने पिछले सप्ताह कहा था कि कई देशों ने हमारी वैक्सीन में रुचि दिखाई है, हम वैक्सीन मैक्युफैक्चरिंग का हब हैं।