पहले भेजा था न्योता, फिर किया मना, जदयू की धमकी से बिगड़ गया चिराग पासवान का खेल!

जदयू ने स्पष्ट कर दिय़ा था, कि अगर चिराग पासवान बैठक में मौजूद रहे, तो उनकी पार्टी शामिल नहीं होगी, चिराग पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे हैं।

New Delhi, Jan 31 : बिहार में बीजेपी की सहयोगी जदयू ने पीएम मोदी की अगुवाई में एनडीए मीटिंग में लोजपा को शामिल होने के लिये न्योता भेजने पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है, सूत्रों का दावा है कि बीजेपी को इस आपत्ति के चलते लोजपा प्रमुख चिराग पासवान से मीटिंग में शामिल ना होने की अपील करनी पड़ी, क्योंकि जदयू ने स्पष्ट कर दिय़ा था, कि अगर चिराग पासवान बैठक में मौजूद रहे, तो उनकी पार्टी शामिल नहीं होगी, चिराग पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे हैं।

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चिराग को लेटर
इससे पहले 20 जनवरी को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चिराग पासवान को एक लेटर भेजा था, जिसमें एनडीए मीटिंग में संसद के आगामी बजट सत्र के लिये महत्वपूर्ण मुद्दों और व्यापार पर चर्चा में शामिल होने की अपील की गई है, chirag modi शनिवार को मीटिंग शामिल ना होने पर चिराग ने द संडे एक्सप्रेस से कहा था कि मैं अपने स्वास्थ्य कारणों से मीटिंग में शामिल नहीं हो सका, मैं अस्वस्थ्य महसूस कर रहा था, इसलिये मैंने खुद को आईसोलेशन में रखा है, हालांकि संयोग से बैठक वर्चुअली थी, प्रह्लाद जोशी ने चिराग को भेजे लेटर में कहा था कि मीटिंग के लिये लिंक उचित समय पर साझा किया जाएगा।

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जदयू का निशाना
जदयू महासचिव केसी त्यागी ने द संडे एक्सप्रेस से कहा कि पीएम मोदी ने खुद बिहार चुनाव के दौरान कहा था कि बिहार में एनडीए सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई में काम कर रही है, इसमें वीआईपी और हम भी शामिल हैं, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी स्पष्ट रुप से कहा था कि बिहार में यही एनडीए है, ऐसे में चिराग जिन्होने एनडीए को नुकसान पहुंचाया वो अब गठबंधन का हिस्सा कैसे हो सकते हैं।

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अकेले लड़ा था चुनाव
चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ा था, लोजपा जिसने नीतीश के खिलाफ अभियान चलाया, करीब उन सभी सीटों पर चुनाव लड़ा, जहां जदयू उम्मीदवार मैदान में थे, हालांकि प्रचार के दौरान चिराग ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की, उनके नाम पर वोट भी मांगे, चुनाव में लोजपा सिर्फ एक सीट जीत सकी, लेकिन माना जाता है कि जदयू को 71 से 43 सीटों पर लाने में उनकी अहम भूमिका रही, चुनाव में एनडीए गठबंधन की जीत के बाद जदयू ने स्पष्ट कर दिया है, कि लोजपा को किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिया जा सकता।