जानें वो 5 बातें, जिनके बारे में बुरा सोचते ही लग जाता है पाप, स्वयं श्रीकृष्ण ने बताई हैं
बचपन से सीख दी जाती है दूसरों का सम्मान करने की, गलती से भी किसी को बुरा भला ना कहने की । कुछ बाते ऐसी हैं जिनके बारे में आपके गलत सोचते ही आप पाप के भागीदार बन जाएंगे ।
New Delhi, Feb 17: क्या कभी सोचा आपने रावण जैसे महाविद्वान का आखिर इतना बुरा अंत क्यों हुआ । क्यों असुर श्रेष्ठ माने जाने वाले कई सूरमा मिट्टी में मिल गए । क्यों तप करके पाए हुए वरदान भी उन्हें बचा नहीं पाए । धर्म ग्रंथों में कई ऐसी बातें कही गई हैं, जिनमें मनुष्य के आचरण से जुड़े तथ्य उजागर होते हैं । वो सभी मनुष्य तो धर्म से ऊपर खुद को समझते, परमात्मा की बनाई वस्तुओं से खुद को अलग मानते हैं एक ना एक दिन पीड़ादाई अंत में समा जाते हैं । जाने अनजाने वो ऐसे पाप के भागीदार बन जाते हैं जिनसे उबर पाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है ।
श्रीमद्भागवत गीता के वचन
हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता में स्वयं श्रीकृष्ण ने ज्ञान और नीति के कई उपदेश दिए हैं। इस महाग्रंथ में 5 बातों के बारे में बताया गया है । वो 5 बातें जिनके बारे में बुरा सोचते ही आप पाप के भागीदार बन सकते हैं । इनकी अवहेलना करना आपको भारी नुकसान में डाल सकती है । इन चीजों से विमुख होना, खुद को इन सभी से श्रष्ठ समझना आपके पतन का कारण बन सकती है ।
गीता के इस श्लोक में है सार
गीता में एक श्लोक है जिसमें इन 5 बातों के बारे में बताया गया है । श्लोक इस प्रकार है : –
यदा देवेषु वेदेषु गोषु विप्रेषु साधुषु।
धर्मो मयि च विद्वेषः स वा आशु विनश्यित।।
अर्थात- जो व्यक्ति देवताओं, वेदों, गौ, ब्रह्माणों-साधुओं और धर्म के कामों के बारे में बुरा सोचता है, उसका जल्दी ही नाश हो जाता है। वो पाप का भागीदार बनता है । ऐसे मनुष्य राक्षस समान हैं, और इनका जीवन किसी काम का नहीं ।
आप भी बनेंगे पाप के भागीदार
यानी संसार में ऐसा कोई भी मनुष्य जो ईश्वर, गाय, ब्राह्मणों, साधु और संतों तथा धर्म के बारे में गलत सोचता है, वो पाप का भागीदार बनता है । ऐसे कई उदाहरण पड़े हैं धर्म ग्रंथों, प्राचीन कथाओं में । जैसे देवताओं से दुश्मनी ही रावण के विनाश का कारण बनी थी । उसका घमंड उसके नाश का कारण । रावण ही क्यों वे सभी असुर जिन्होने वेदों का अपमान किया, उन्हें ईश्वर ने स्वयं दंड दिया ।
गाय का अपमान,महापाप
गाय पृथ्वी पर अकेला ऐसा जानवर है जिसके हर एक अंग, हर एक अपशिष्ट का भी मल्य है । गाय को सताने वाला नर्क में भी जगह नहीं पाता । क्या आप जानते हैं बलासुर नाम के असुर की मृत्यु गायों का अपमान करने की वजह से ही हुई थी । गाय को तंग करने वाला राक्षस समान माना जाता है । महाभारत काल में गुरु द्रोण का पुत्र होने के बावजूद अश्वत्थामा अधर्म ही करता रहा। प्रभु श्री कृष्ण ने उसे कभी मुक्ति ना मिलने का श्राप तक दे दिया । इसलिए मनुष्यों को पाप कर्म से बचकर धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए ।