अमरोहा केस- जेल में जन्मे शबनम के बेटे ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार, कही भावुक कर देने वाली बात!

अपने परिवार के 7 लोगों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है।

New Delhi, Feb 18 : यूपी के अमरोहा के बावनखेड़ी कांड में फांसी की सजा पाने वाली आजाद भारत की पहली महिला शबनम के बेटे मुहम्मद ताज ने अपनी मां के लिये माफी की गुहार लगाई है, राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने के बाद शबनम के 12 वर्षीय बेटे ताज ने कहा कि राष्ट्रपति अंकल जी, मेरी मां को माफ कर दो, आपको बता दें कि 14 अप्रैल 2008 की रात शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी, तब वो दो महीने की प्रेग्नेंट थी, शबनम ने जेल में ही ताज को जन्म दिया था।

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बेटे को गोद ले लिया
शबनम के दोस्त रहे उस्मान सैफी ने मुहम्मद ताज को गोद ले लिया था, अब ताज 12 साल का हो चुका है, उसने जब मां को फांसी देने की बात सुनी, तो राष्ट्रपति से माफी की गुहार लगाई है, बुलंदशहर में भूड़ चौराहे के पास सुशील विहार कॉलोनी में रहने वाले उस्मान सैफी के संरक्षण में पल-बढ रहे ताज को मां के गुनाहों का एहसास है, उस्मान ने कहा कि ताज ने राष्ट्रपति से मां शबनम की माफ करने की अपील की है।

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21 जनवरी को मां से मुलाकात
उस्मान सैफी ने बताया कि फांसी की सजा पाने वाली शबनम इन दिनों रामपुर जेल में बंद है, बीते महीने 21 जनवरी को उन्होने ताज की मुलाकात मां शबनम से कराई थी, मुलाकात के दौरान शबनम ने बेटे ताज को टॉफी और पैसे के साथ आशीर्वाद दिया था।

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जल्द फांसी देने की मांग
अपने परिवार के 7 लोगों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है, राष्ट्रपति ने शबनम और सलीम की दया याचिका भी खारिज कर दी है, इस फैसले के बाद शबनम के चाचा-चाची समेत पूरे गांव में खुशी का माहौल है, शबनम की चाची ने कहा कि हमें तो खून का बदला खून ही चाहिये, उसे फांसी जल्द हो जाए, उस समय अगर हम भी घर में होते तो हमें भी इसने मार दिया होता, हम घटना के बाद आधी रात में यहां पहुंचे थे। चाची ने कहा याचिका खारिज हो गई, हम तो बहुत खुश हैं, इसे फांसी होनी चाहिये, फांसी के बाद क्या वो डेड बॉडी लेंगी, इस सवाल पर उन्होने कहा हम क्यों लेंगे, हम नहीं लेंगे, हम क्या करेंगे ऐसी लड़की की लाश लेकर, चाचा ने कहा हम उस समय यहां नहींम थे, रात के दो बजे के बाद मौके पर पहुंचे थे, सब कटे हुए पड़े थे, इसने जो किया है, वो ही भरना है, दूसरा देश होता, तो बहुत पहले ही फांसी हो जाती।