एक साल पहले तक टीम में नहीं थी जगह पक्की, अब बना सबसे बड़ा मैच विनर!
अश्विन के साथ आखिर वही हुआ, जिसका उन्हें डर था, क्राइस्टचर्च टेस्ट के लिये उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली।
New Delhi, Feb 27 : 25 फरवरी 2021 का दिन आर अश्विन के लिये ना सिर्फ ऐतिहासिक बल्कि बेहद यादगार रहेगा, हर कोई उनकी तारीफ करते थक नहीं रहा है, लेकिन इससे ठीक एक साल पहले यानी 24 फरवरी 2020 की ओर ले जाना चाहता हूं, शहर है न्यूजीलैंड का वेलिंगटन, कायदे से ये पहले टेस्ट का आखिरी दिन होना था, लेकिन चूंकि मैच 4 दिन में ही खत्म हो गया था, इसलिये खिलाड़िय़ों के पास समय बचा हुआ था, शाम में पुजारा और अश्विन एक रेस्टोरेंट में खाना खा रहे थे, तभी एक चर्चित पत्रकार ने ताना मारते हुए कहा, देखो टेस्ट स्पेशलिस्ट अपना दुख-दर्द बांट रहे हैं, जब मैं इन दोनों खिलाड़ियों के बीत थोड़ा करीब से गुजरा, तो अश्विन के चेहरे पर मायूसी और गंभीरता के भाव दिखे, वो परेशान दिखे और उन्हें पता था कि क्राइस्टचर्च में होने वाले दूसरे टेस्ट में उनकी जगह जडेजा को मौका दिया जाएगा, अश्विन ने कुछ कहा तो नहीं लेकिन टीम के एक बेहद सीनियर खिलाड़ी ने कहा अश्विन जैसे दिग्गज के साथ ऐसा रवैया ठीक नहीं, हर मैच से पहले अश्विन बनाम जडेजा वाली बहस ईइतने बड़े खिलाड़ी के साथ सही नहीं।
12 महीने लटकती थी तलवार
अश्विन के साथ आखिर वही हुआ, जिसका उन्हें डर था, क्राइस्टचर्च टेस्ट के लिये उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली, सीरीज के पहले मैच में हार के बाद सीनियर खिलाड़ी के तौर पर फिर से उन्हें आसानी से बलि का बकरा बनाया गया, कोई दूसरा होता, तो कोच और कप्तान के रुखे रवैये पर कलपता, मायूस होता और शायद हर किसी से कट जाता, लेकिन कोरोना की वजह से पूरी दुनिया थम गई और अश्विन ने अपनी शख्सियत को इस दौरान अलग तरीके से पहचाना।
एकलव्य जैसा पैनापन
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अश्विन को एडिलेड के पहले टेस्ट में खेलना नहीं था, लेकिन जडेजा को चोट लगती है और उन्हें मौका मिलता है, बस क्या था, यहीं से अश्विन ने एक ऐसा सुनहरा सफर शुरु किया, जो अब तक इस मौजूदा सीरीज में बरकरार है, ऑस्ट्रेलिया में वो तीन मैच खेले और 12 विकेट झटके, लेकिन सबसे खास बात ये रही, कि दुनिया के सबसे धुरंधर टेस्ट बल्लेबाज स्टीव स्मिथ को वैसे ही चुप कराया, जैसे कि महाभारत की कहानियों में एकलव्य ने अपनी तीरों को ऐसे साधा कि कुत्ते का भौंकना बंद हो गया, लेकिन उस जानवर का एक बूंद खून भी नहीं टपका था, अश्विन की गेंदबाजी में वैसा ही पैनापन था, रही सही कसर उन्होने सिडनी टेस्ट में बल्लेबाजी करके पूरी कर दी, जब हनुमा विहारी के साथ मिलकर साहसिक पारी खेल मैच बचा लिया।
भज्जी नहीं टिकते
पहले हरभजन सिंह को भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा ऑफ स्पिनर माना जाता था, लेकिन भज्जी को अपने करियर के आखिरी पांच सालों में बुरी तरह से जूझना पड़ा, जैसे-तैसे करके वो 100 टेस्ट खेल गये, 2011 विश्वकप के बाद खेले गये 10 टेस्ट में भज्जी को सिर्फ 24 विकेट मिले, यानी उनका संघर्ष आखिरी 4 साल तक चलता रहा, किसी तरह से वो 400 विकेट का आंकड़ा छू पाये, लेकिन अश्विन इसके विपरीत बढती उम्र के साथ और खतरनाक होते दिख रहे हैं, पिछले 6 मैचों में उन्होने 36 विकेट हासिल किये हैं।