वीडियो पार्लर चलाती थीं शशिकला, फिर जयललिता से मिलीं और यूं बन गईं तमिलनाडु की चिनम्‍मा

जयललिता की करीबी रहीं शशिकला ने राजनीति से संन्‍यास की घोषणा कर सबको चौंका दिया है, तमिलनाडु चुनाव से ठीक पहले लिया उनका ये फैसला चौंकाने वाला है ।

New Delhi, Mar 04: तमिलनाडु की दिवगंत राजनेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की करीबी और AIADMK से बर्खास्त नेता वीके शशिकला ने बुधवार शाम अपने फैसले से सबको चौंका दिया । शशिकला ने तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी है । संन्‍यास के ऐलान के साथ ही उन्होंने तमिलनाडु की राजनीति में उनसे जुड़ी तमाम संभावनाओं और कयासों पर विराम लगा दिया । एक दौर था जब जयललिता के बाद शशिकला का नाम ही लोगों की जुबां पर था । वो इसी साल जनवरी महीने में सजा काटकर बाहर आई हैं ।

Advertisement

जयललिता के हर फैसले के पीछे थीं शशिकला
तमिलनाडु की चिनम्‍मा के नाम से मशहूर शशिकला के बारे में कहा जाता है कि कि मुख्यमंत्री के पद पर भले जयललिता थीं, लेकिन पर्दे के पीछे से उनके हर राजनीतिक और रणनीतिक फैसलों में ​शशिकला की राय शामिल हुआ करती थी । हलांकि अम्‍मा के निधन के बाद भ्रष्टाचार और आय से ​अधिक संपत्ति के मामले में कोर्ट ने उन्हें 4 साल जेल की सजा सुनाई, वह बेंगलुरु जेल में बंद थीं। उनके रिहा होने के बाद से उन्‍हें लेकर सियासी कयासों का दौर जारी था, लेकिन अब संन्‍यास के ऐलान के बाद सब पर पूर्णविराम लग गया है ।

Advertisement

बेहद सामान्‍य परिवार से थीं शशिकला
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शशिकला एक सामान्य औसत गृहिणी की तरह रहा करती थीं । साल 1984 में वो विनोद वीडियो विजन नाम से चेन्नई के अलवरपेट में वीडियो पार्लर चलाया करती थीं । उनके पति तत्कालीन नटराजन सरकार में जनसंपर्क अधिकारी थे, उस वक्त कड्डलुर जिले में आईएएस अफसर चंद्रलेखा कलक्टर थीं । चंद्रलेखा की सिफारिश से ही ‘विनोद वीडियो’ की टीम को जयललिता के संबोधन वाली एक मीटिंग की वीडियोग्राफी का मौका मिला । यहीं शशिकला पहली बार जयललिता से मिलीं, इस सामान्‍य सी मुलकात ने आगे क्‍या रुख लिया इससे सभी वाकिफ हैं । शशिकला लंबे समय तक पूर्व सीएम दिवंगत जयललिता के बराबर ही ताकतवर मानी जाती रही।

Advertisement

एमजीआर के निधन के बाद जयललिता से बढ़ी करीबी
शशिकला का जन्‍म 1956 में संयुक्त तंजौर जिले के तिरुतुरईपुंडी में विवेकानंदन और कृष्णावेणी के घर हुआ । वो केवल 10वीं तक पढ़ी हैं । 16 अक्टूबर 1973 को उनकी शादी एम नटराजन से हुई। जयललिता से मुलाकात के बाद शशिकला धीरे-धीरे उनकी विश्वासपात्र बन गईं, 1988 से जयललिता का आवास पोएस गार्ड शशिकला का स्थाई निवास बन चुका था । मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन के निधन के बाद शशिकला, जयललिता के बेहद करीब हो गईं । तब तक अन्नाद्रमुक दो हिस्सों में बंट चुकी थी । फरवरी, 1988 में जयललिता गुट ने मीटिंग बुलाई, जिसमें शशिकला के विश्वासपात्र लोग पार्टी पदाधिकारी बनाए गए ।

शशिकला बन गईं चिनम्‍मा
1991 में जब जयललिता पहली बार मुख्यमंत्री के पद पर बैठीं तो शशिकला उनकी परछाई बन गईं । लोग जयललिता को अम्मा और शशिकला को चिनम्मा कहने लगे थे । बताया जाता है कि जयललिता के शादीशुदा ना होने के चलते शशिकला के पति, भाइयों का पार्टी में दबदबा बढ़ता चला गया । शशिकला के ही एक रिश्तेदार वीएन सुधाकरन को जयललिता ने अपना दत्तक पुत्र बना लिया । 1996 में हुए चुनाव में जयलिलता हार गईं, जिसकी वजह शशिकला के रिश्तेदारों कसे मसना गया । जयललिता को शशिकला के साथ जेल भी जाना पड़ा, दोनों कुछ समय के लिए दूर हुए लेकिन ज्‍यादइा समय तक नहीं । साल 2011 में एक बार फिर जयललिता सीएम बनीं । इस दौरान जयललिता को आशंका हुई कि शशिकला उनके खिलाफ साजिश रच रही हैं, 19 दिसंबर 2011 को अम्‍मा ने शशिकला और उनके रिश्तेदारों को पार्टी से बाहर कर दिया । लेकिन तीन महीने बाद ही 28 मार्च, 2012 को शशिकला ने एक प्रेस रिलीज जारी की और उन्‍होंने कही कि वो सत्‍ता लोभी नहीं हैं, वो जयललिता की सच्ची बहन बनी रहना चाहती हैं । इसके तीसरे ​दिन 31 मार्च को जयललिता ने शशिकला को पार्टी में फिर से एंट्री दे दी । इसके बाद जयललिता के दुनिया से अलविदा कहने तक दोनों दोस्‍त बनी रहीं ।