Bikru case- एक और रहस्य से उठा पर्दा, चेकिंग होती तो पहले ही दिन पकड़ा जाता विकास दुबे!

एसटीएफ सूत्रों के अनुसार 3 जुलाई को विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा ने रामजी उर्फ राधे के घर तुलसीनगर, रसूलाबाद में शरण ली थी।

New Delhi, Mar 06 : विकास दुबे भागना नहीं चाहिये… हर जगह नाकेबंदी कर दी जाए, वाहनों की सघन चेकिंग की जाएस, पुलिस अलर्ट रहे, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन से लेकर हाइवे… हर जगह नजर रखी जाए। कुछ ऐसा ही आदेश पिछले साल 2 जुलाई की रात शहर से लेकर आसपास के जिलों के थानों के फोन तथा वायरलेस पर प्रसारित होते रहे, पुलिस बल सड़कों पर हरकत में आ चुका था, बिकरु से भागे विकास और उसके गुर्गों की तलाश जारी थी, लेकिन कानपुर देहात पुलिस क्या वाकई में उस समय अलर्ट थी, ये सवाल इसलिये महत्वपूर्ण है, जहां गैंग्सटर 62 घंटे के दौरान खुलेआम घूमता और छिपता रहा।

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सामने आया नया तथ्य
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार 3 जुलाई को विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा ने रामजी उर्फ राधे के घर तुलसीनगर, रसूलाबाद में शरण ली थी, दोपहर 12 बजे बाइक से पहले अमर दुबे को रसूलाबाद से करियाझाल पहुंचाया गया, फिर शाम 5 बजे विकास और प्रभात मिश्रा बाइक से वहां पहुंचा, रसूलाबाद से एक बाइक पर रांमजी और अभिनव तिवारी उर्फ चिंटू और दूसरी बाइक पर विकास और प्रभात सवार होकर चले, Vikas constable एक बाइक रामजी चला रहा था दूसरी विकास, रास्ते में कोई खतरा ना हो, इसलिये विकास ने रामजी को आगे चलने के लिये कहा, रास्ते में विकास की बाइक पंक्चर हो गई, ऐसे में वो और प्रभारी दूसरे बाइक पर सवार हो गये, चिंटू को भी बैठा लिया, रामजी पंक्चर बाइक पर ही आगे आगे चला, विकास को सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाया, पंक्चर बाइक की गति धीमी होगी, यानी पीछे चल रही विकास की बाइक भी धीरे-धीरे जा रही होगी, इस पर भी तीन सवारी, लॉकडाउन के दौरान बाइक पर तीन सवारी होने के बावजूद रास्ते में कहीं भी पुलिस ने इन लोगों को रोका-टोका नहीं, इससे जाहिर होता है, कि कानपुर देहात पुलिस इतनी बड़ी वारदात के बाद भी लापरवाह बनी रही।

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पंजाब से खरीदी गई थी शिव तिवारी की रायफल
विकास के भांजे शिव तिवारी की सेमी ऑटोमेटिक स्प्रिंग फील्ड रायफल किस गन हाउस से खरीदी गई थी, इसका पता अब एसटीएफ जांच में चल गया है, इस रायफल को पंजाब के किसी गन हाउस से खरीदा गया था, जिस तरह से बिना सेमा ऑटोमेटिक फंक्शन निष्क्रिय किये रायफल पाई गई, उससे पुलिस की चिंता बढ गई है, ऑटोमेटिक फंक्शन के साथ ये रायफल प्रतिबंधित हैं, एसटीएफ की अब तक की जांच के अनुसार शिव तिवारी को रिवाल्वर का लाइसेंस दिया गया था, जिसे तत्कालीन डीएम अनिल सागर ने जारी किया था, vikas dubey इसके बाद 16 फरवरी 2014 को तत्कालीन एडीएम वित्त ने शिव को एनपी बोर की रायफल खरीदने का लाइसेंस जारी किया, इस लाइसेंस पर शिव ने स्वदेशी रायफल खरीदी थी, बताया जाता है, कि नवंबर 2019 को विकास ने स्वदेशी रायफल बेच कर पंजाब से सेमी ऑटोमेटिक स्प्रिंग फील्ड रायफल खरीदी थी, मुख्य रुप से ये सेना का हथियार है।

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लाइसेंस जांच के आदेश
शिव तिवारी की सेमी ऑटोमेटिक रायफल का ऑटोमेटिक फंक्शन निष्क्रिय नहीं किया गया था, एक लीडिंग वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक आईजी मोहित अग्रवाल ने मामले में जांच के आदेश दिये हैं, आईजी ने बताया कि लाइसेंस जब एनपी बोर का था, तो उसमें प्रतिबंधित हथियार कैसे चढ गया, इस मामले की गहनता से जांच करायी जाएगी।