ना निशंक ना बलूनी और ना ही धन सिंह रावत, जानिये तीरथ सिंह रावत के सीएम बनने की Inside Story

उत्तराखंड के सीएम रेस में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रभारी तथा प्रवक्ता अनिल बलूनी, केन्द्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, मंत्री धन सिंह रावत, सतपाल महाराज और सांसद अजय भट्ट का नाम लगातार चर्चा में रहा।

New Delhi, Mar 10 : बीजेपी विधानमंडल दल की मीटिंग के बाद पौड़ी-गढवाल से सांसद तीरथ सिंह रावत को पार्टी ने नया चेहरा चुना है, तमाम राजनीतिक चर्चाओं को धता बता तीरथ को बीजेपी ने नया सीएम बनाने का फैसला लिया है, पार्टी पर्यवेक्षकों रमन सिंह, दुष्यंत गौतम और रेखा वर्मा की मौजूदगी में तीरथ सिंह रावत के नाम पर मुहर लगी, निवर्तमान सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मीटिंग के बाद तीरथ सिंह रावत के नाम का ऐलान किया।

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किस गुट का ना होना
तीरथ सिंह रावत को वैसे एक दौर में पूर्व सीएम बीसी खंडूरी का बेहद करीबी माना जाता था, उन्हें खंडूरी का राजनीतिक शिष्य भी कहा जाता था, लेकिन इसके बावजूद तीरथ पार्टी के किसी गुट में नहीं रहे, बेहद सौम्य स्वाभाव के तीरथ का किसी गुट में ना होना उनके पक्ष में गया, तीरथ को बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी का करीबी भी माना जाता है, साथ ही निवर्तमान सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद राजपूत को ही सीएम बनाने का जो दबाव पार्टी पर था, वो भी अब दूर हुआ।

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इन नामों के बीच आया तीरथ का नाम
उत्तराखंड के सीएम रेस में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रभारी तथा प्रवक्ता अनिल बलूनी, केन्द्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, मंत्री धन सिंह रावत, सतपाल महाराज और सांसद अजय भट्ट का नाम लगातार चर्चा में रहा, जबकि तीरथ सिंह रावत को लेकर कोई चर्चा नहीं थी, लेकिन बीजेपी विधायकों की मीटिंग में अचानक तीरथ सिंह रावत का नाम आया, जिससे हर कोई हैरान है।

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लंबा राजनीतिक अनुभव
उत्तराखंड के होने वाले नये सीएम तीरथ सिंह रावत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं, वो 2013 से 2015 तक प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहे, इसके साथ ही 2012 से 2017 तक गढवाल की चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से विधायक रहे, साथ ही आरएसएस से पुराना नाता रहा है, वो एबीवीपी के जरिये छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं, 1983 से 1988 के बीच तीरथ सिंह रावत आरएसएस संगठन में सक्रिय रहे। तीरथ की सक्रिय राजनीति में एंट्री साल 1997 में हुई, वो पहली बार यूपी परिषद के सदस्य बने, उत्तराखंड बनने के बाद नित्यानंद स्वामी सरकार में वो शिक्षा मंत्री रहे, हालांकि इसके बाद उन्हें कई हारों का सामना करना पड़ा, हालांकि इस दौरान वो पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर रहे, लेकिन 2012 में वो चौबट्टाखाल से विधायक बने, 2013 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2017 विधानसभा चुनाव में उन्हें विधायक का टिकट नहीं दिया गया, लेकिन 2019 में उन्हें बीजेपी ने पौड़ी-गढवाल सीट से लोकसभा चुनाव का टिकट दे दिया, वो कांग्रेस उम्मीदवार मनीष खंडूरी को हराकर संसद पहुंचे, तीरथ रावत साल 2019 लोकसभा चुनाव में हिमाचल के प्रभारी भी रहे। वहीं उनकी दोस्ती जेपी नड्डा से हुई, जो सीएम बनने में भी काम आया।