LoC पर सीजफायर के समझौते से फिर मुकर गया पाकिस्तान, अलापने लगा कश्मीर राग!

सीजफायर के बाद ये पहला मौका है, जब पाक ने अपने स्टैंड को फिर से सामने रखा है, पड़ोसी देश के अनुसार अगर भारत कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से बहाल करता है, तो दूसरे द्विपक्षीय मुद्दों पर दोनं देशों के बीच बेहतर बात हो सकेगी।

New Delhi, Mar 12 : पाक एलओसी पर सीजफायर के समझौते से फिर से मुकर गया है, भारत के साथ बातचीत को बेहतर बनाने के लिये वो कश्मीर मामले का राग अलापने लगा है, पड़ोसी देश का कहना है कि 25 फरवरी को हुआ समझौता तभी नया आयाम ले सकता है, जब भारत-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दे, पड़ोसी मुल्क के अनुसार कश्मीर को पुराना स्टेट्स मिलने से दोनों देशों के बीच के बातचीत और ज्यादा सार्थक हो सकेगी।

Advertisement

पुराने स्टैंड से पीछे हटा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पाक का कहना है कि 25 फरवरी को डीजीएमओ स्तर पर जारी हुए ज्वाइंट स्टेटमेंट का मतलब ये नहीं है, कि पाक अपने पुराने स्टैंड से पीछे हट गया, Imran Khan कश्मीर के मामले में पाक अपने पहले वाले रुख पर आज भी कायम है, उसका मानना है कि ये मसला विवादास्पद है, और संयुक्त राष्ट्र की सिक्योरिटी काउंसिल के पास विचाराधीन है, पाक का कहना है कि भारत ये ना समझे कि ज्वाइंट स्टेटमेंट देने का मतलब उसका कश्मीर मुद्दे से पीछे हट जाना है।

Advertisement

बात हो सकती है
रिपोर्ट के मुताबिक सीजफायर के बाद ये पहला मौका है, जब पाक ने अपने स्टैंड को फिर से सामने रखा है, पड़ोसी देश के अनुसार अगर भारत कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से बहाल करता है, imran तो दूसरे द्विपक्षीय मुद्दों पर दोनं देशों के बीच बेहतर बात हो सकेगी, पाक ने कहा कि भारत ये ना समझे कि डीजीएमओ स्तर पर समझौता किसी दवाब या कमजोरी के चलते किया गया, भारत ये भी ना माने कि वो इस बातचीत के आधार पर दूसरे देशों को एक संदेश दे सकता है कि पाक के साथ उसके संबंध दुरुस्त है या फिर कश्मीर के लोगों को ये बताए, कि वहां जो होना था हो चुका, अब पाक के साथ दूसरे मसले ज्यादा अहम हैं।

Advertisement

बात करने का इच्छुक
पाक के अनुसार वो भारत के साथ सीजफायर को लेकर पिछले 2 साल से बात करने का इच्छुक था, लेकिन ना जाने किस कारण से भारत इसे लेकर ज्यादा उत्साह नहीं दिखा रहा था, पता नहीं क्यों अब वो क्यों बातचीत के लिये तैयार हो गया, पाक के अनुसार डीजीएमओ स्तर का समझौता सीमा पर रहने वाले लोगों के भले के लिये किया गया था, गोलीबारी में हासिल तो कुछ नहीं होता, लेकिन बेकसूर लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है।