मां ने गहने गिरवी रखे, लोगों से उधार लिया, अब बेटी ने रचा इतिहास, 125 साल में कोई नहीं कर सका ऐसा!

भवानी देवी का पूरा नाम चदलवदा अनंधा सुंदररमन भवानी देवी है, हालांकि साथियों और फैंस के बीच वो सीए भवानी देवी के नाम से जानी जाती हैं, टाइम्स ऑफ इंडिया ने भवानी के हवाले से लिखा है।

New Delhi, Mar 17 : तीरंदाज भवानी देवी ने वो कर दिखाया, जो पिछले 125 सालों से कोई भारतीय एथलीट नहीं कर पाया था, वो ओलंपिक खेलों में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय तीरंदाज बन गई हैं, अपनी इस उपलब्धि का श्रेय वो अपने परिवार को देती हैं, उनके अनुसार मां ने अपने गहने गिरवी रखे, लोगों से उधार लिया, लेकिन कभी ऐसी नौबत नहीं आने दी, जिससे खेल के प्रति मेरे जूनून में जरा सी भी कमी आए।

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परिवार के बदौलत
भवानी देवी का पूरा नाम चदलवदा अनंधा सुंदररमन भवानी देवी है, हालांकि साथियों और फैंस के बीच वो सीए भवानी देवी के नाम से जानी जाती हैं, टाइम्स ऑफ इंडिया ने भवानी के हवाले से लिखा है, इसे लेकर कोई दो राय नहीं है, कि मैं आज यहां पर अपने घर वालों की बदौलत हूं, लोअर मिडिल क्लास से आने के बावजूद मेरे माता-पिता हर स्थिति में मेरे साथ खड़े रहे, 27 साल की भवानी देवी के पिता सी सुंदरमन पुजारी थे और माता रमानी एक हाउसवाइफ।

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गहने गिरवी रखे
भवानी देवी ने बताया कि मेरी मां ने मेरी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिये अपने गहने गिरवी रखे, मैं प्रतियोगिता में हिस्सा ले पाउं, इसके लिये लोगों से उधार लिया, मुझे याद है कि जब-जब हम पैसे की व्यवस्था करने में विफल रहे, तब मैं प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाई थी, मैंने दो साल पहले अपने पिता को खो दिया था, मैं इस मौके पर उन्हें सबसे ज्यादा मिस कर रही हूं।

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सपोर्ट सिस्टम
भवानी देवी ने बताया, पिछले कुछ साल से मेरे सपोर्ट सिस्टम में गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन शामिल है, गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन ने मुझे राहुल द्रविड़ एथलीट मेंटरशिप प्रोग्राम, स्पोर्ट्स ऑथारिटी ऑफ तमिलनाडु, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया और तमिलनाडु इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के जरिये समर्थन किया, ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें मैं इस समय धन्यवाद देना चाहती हैं, क्योंकि उनके बिना ये यात्रा संभव नहीं थी।