किसान आंदोलन में हो गया रिश्ता पक्का, दो किसान बने समधी, करवा दी बेटा-बेटी की शादी
किसान आंदोलन से आ रही खबरों के बीच एक बिलकुल अनोखी खबर आई है, यहां दो किसानों ने अपने बच्चों का रिश्ता पक्का कर मंच पर ही शादी करवा दी । आगे पढ़ें पूरी खबर ।
New Delhi, Mar 19: मध्य प्रदेश के रीवा से एक बहुत ही खास तस्वीर सामने आई है, यहां किसान आंदोलन में बने पंडाल में ही 2 किसानों ने अपने बेटा-बेटी की शादी करवा दी । वहां मौजूद मीडिया से बात करते हुए समधी बने इन किसानों ने कहा कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं ले लेती वह अपने सारे मांगलिक कार्यक्रम यहीं से करेंगे। यह अनोखा नजारा गुरवार को देखने को मिला ।
आंदोलन के मंच पर गाए गए मंगल गीत
रीवा में आंदोलन कर रहे किसान अपने मंच पर हुई इस शादी से बेहद उत्साहित दिखें । यहां, कृषि कानून के विरोध में नारे लगाने वाली जगह पर मंगल गीत गाए गए । सैंकड़ों किसान हाथों में फूल माला लिए इस शादी के गवाह बने । जैसे ही दूल्हा-दुल्हन मंच पर पहुंचे तो उनपर पुष्प वर्षा होने लगी । शादी की सारी रस्में पंडाल में ही निभाई गईं।
75 दिन से धरने में साथ थे दोनों किसान
यह शादी मध्य प्रदेश किसान सभा के महासचिव रामजीत सिंह के बेटे सचिन सिंह और किसान विष्णुकांत सिंह की बेटी आसमा के बीच हुई । दोनों किसान 75 दिन से एक साथ इस आंदोलन में धरना दे रहे थे । इसी बीच दोनों में बच्चों के बारे में भी बात हुई और इन्होंने रिश्ता तय कर दिया । बात पक्की हुई तो उन्होंने अपने बेटा-बेटी की शादी भी किसान आंदोलन के धरने स्थल से करने से तय कर लिया।
अनोखी शपथ
शादी में दूल्हा-दुल्हन ने मंत्रों के साथ संविधान की भी शपथ ली। दोनों ने संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर एवं शिक्षा की देवी सावित्री बाई फुले की फोटो के सात फेरे लिए। दूल्हे के पिता रामजीत सिंह ने मीडिया को कहा कि वह सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि बिना कानून वापसी आंदोलन से नहीं हटेंगे। अपन हक लेकर ही रहेंगे। उन्होंने बताया कि इस शादी में उन्होंने कोई दहेज नहीं लिया है। हम किसान भाईयों को कुरीतियों से भी लड़ना है। शादी की सबसे बड़ी खास बात यह कि इसमें मेहमानों को निमंत्रण पत्र नहीं भेजे गए, दोनों ही पक्षों ने कार्ड नहीं छपवाए । इसके अलावा बताया गया कि दूल्हा-दुल्हन को भेंट स्वरूप मिली राशि को भी आंदोलन कर रहे किसानों को दे दिया जाएगा ।