योगी सरकार के लिये मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई के हैं खास मायने, 5 प्वाइंट में जानिये परदे के पीछे की कहानी!

सवाल तो ये भी उठता है कि क्या मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई सिर्फ एक माफिया के खिलाफ की जा रही कार्रवाई है, या इसके कुछ और भी मायने हैं।

New Delhi, Apr 06 : यूपी में बीजेपी को प्रचंड बहुमत के बाद योगी आदित्यनाथ 2017 में सीएम बनते ही अपराधियों को प्रदेश छोड़ देने की नसीहत दी थी, उन्हीं की सरकार ने माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को यूपी लाने के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था, आखिर क्यों पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारियों से लेकर मंत्री तक इसे योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं, सवाल तो ये भी उठता है कि क्या मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई सिर्फ एक माफिया के खिलाफ की जा रही कार्रवाई है, या इसके कुछ और भी मायने हैं, जानकारों के मुताबिक चुनावी साल में योगी सरकार के ऐसे एक्शन के बड़े राजनीतिक मायने हैं, आइये आपको उन पांच मायनों के बारे में बताते हैं।

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अपराधियों पर जीरो टॉलरेंस
2017 में सत्ता संभालने के साथ ही योगी ने अपराध पर जीरो टॉलरेंस का वादा किया था, इस वायदे के साथ ही प्रदेश में ताबड़तोड़ एनकाउंटर्स शुरु हो गये, सिलसिला अभी भी जारी है, cm yogi बदमाशों के साथ प्रदेश के माननीय बन चुके बड़े-बड़े बाहुबलियों के खिलाफ भी एक्शन शुरु हो गये, भदोही के गोपीगंज से विधायक विजय मिश्रा हों, या फिर जौनपुर सांसद धनंजय सिंह, अतीक अहमद हों, या फिर मुख्तार अंसारी, सभी बाहुबलियों की योगी सरकार ने आर्थिक कमर तो तोड़ी ही, उन्हें उनकी करतूत की मुकम्मल सजा भी देने की कोशिश की।

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दूसरी सरकारों से अलग दिखने की कोशिश
अपराधियों पर नकेल कसने की कसमें तो सभी सरकारें खाती रही है, लेकिन एक्शन के मामले में रवैया दूसरा ही दिखता रहा है, योगी सरकार इस परिभाषा को बदल रही है, सपा-बसपा की सरकारों में भी अपराधियों पर एक्शन हुए, yogi akhilesh लेकिन बाहुबली माननीयों पर आंच नहीं आई, योगी सरकार ने पिछली सरकारों के उलट अपना रवैया दिखाया है, और ये जताने की कोशिश की है, कि सत्ता में पैठ बना लेने से बचने का रास्ता नहीं मिल जाएगा।

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ब्राह्मण, ठाकुर या फिर मुस्लिम, बाहुबलियों पर एक साथ चाबुक
लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की नृशंस हत्या हो, कानपुर में 8 पुलिस वालों को मारने वाले विकास दूबे का एनकाउंटर हो, या फिर विधायक विजय मिश्रा पर नकेल, इन सभी घटनाओं के बाद योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी बताकर बड़े पैमान पर प्रचार किया गया, हालांकि योगी ने ये बता दिया कि बाहुबलियों पर कार्रवाई जाति विशेष को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि चौतरफा की जाएगी।

चुनावी साल में जाने से पहले पुराने वायदे की पूर्ति
2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव है, चुनावी माहौल शुरु होने में अब 6 महीने से भी कम समय बचा है, ऐसे में य़ोगी सरकार चुनावी समर में उतरने से पहले ये जता देना चाहती है, कि उसने सत्ता संभालने के समय जो वायदा किया था, उसे पूरा कर दिया है, 2017 में सीएम योगी ने अपराधियों पर तगड़ी नकेल कसने की बात कही थी, जो अब 2022 के चुनावी रैलियों में उतरेंगे, तो सीना ठोककर कह सकेंगे, कि कितने बाहुबलियों को धूल चटाई।

पूर्वांचल से ऑर्गेनाइज्ड क्राइम का खात्मा
सालों से पूर्वांचल ऑर्गेनाइज्ड क्राइम का गढ रहा, कोयला और रेलवे ठेकों की लूट के लिये बड़े-बड़े माफिया पैदा हो गये, इन पर कार्रवाई तो बीच-बीच में होती रही, लेकिन राजनीतिक मतलब भी साधे जाते रहे, लिहाजा माफियाओं की जड़ें और गहरी होती गयी, cm yogi योगी सरकार ने इसी ऑर्गेनाइज्ड क्राइम पर चोट की है, पिछले बीस सालों में जो ना हो सका, उसे कर दिखाने का संदेश सरकार देना चाहती है। हालांकि अदालतों में पुलिस को और मेहनत करनी होगी, क्योंकि मुख्तार अंसारी के खिलाफ चल रहे केसों में उसे कोर्ट से गुनहगार साबित करवाना भी बड़ी चुनौती है, बड़े माफियाओं के खिलाफ गवाहों का टूटना कोई नई बात नहीं है, मुख्तार के खिलाफ यूपी समेत दूसरे राज्यों में 52 मुकदमे दर्ज है, फिलहाल 15 मुकदमे ट्रायल पर हैं।