इंदिरा ने अपनी हत्या से ठीक पहले अमिताभ को लेकर बेटे राजीव को दी थी चेतावनी, 2 बातों को मत भूलना!

वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई की किताब नेता-अभिनेता में लिखा है, तब इंदिरा ने अपने फैसले का ये कहते हुए बचाव किया था, कि नरगिस इसे डिजर्व करती हैं, हालांकि इसे लेकर लंबे समय तक इंदिरा और तेजी बच्चन के बीच तनाव रहा।

New Delhi, Apr 07 : बच्चन और गांधी-नेहरु परिवार की दोस्ती इलाहाबाद के दिनों से है, पहली बार आनंद भवन में सरोजनी नायडू ने हरिवंश राय बच्चन और उनकी पत्नी तेजी बच्चन की इंदिरा गांधी से मुलाकात कराई थी, दोस्ती का ये सिलसिला दिल्ली तक कायम रहा, अगली पीढी ने इसे और मजबूत किया, सियासी गलियारों में राजीव गांधी और महानायक अमिताभ बच्चन की दोस्ती के तमाम किस्से मशहूर हैं, बाद में राजीव के कहने पर ही अमिताभ राजनीति में आये थे।

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नाराज हो गई थीं तेजी बच्चन
हालांकि कम ही लोगों को पता है कि इंदिरा गांधी ने अपने बेटे राजीव को अमिताभ को लेकर साफ-साफ चेताया था, और नसीहत दी थी, इंदिरा गांधी नहीं चाहती थी, कि अमिताभ कभी राजनीति में आएं, इसकी पटकथा 1980 में तब लिखी गई थी, Indira Gandhi जब इंदिरा ने नरगिस को राज्यसभा भेजने के लिये चुना, उनके इस फैसले से कथित तौर पर तेजी बच्चन काफी नाराज हो गई थीं।

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नरगिस डिजर्व करती हैं
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई की किताब नेता-अभिनेता में लिखा है, तब इंदिरा ने अपने फैसले का ये कहते हुए बचाव किया था, कि नरगिस इसे डिजर्व करती हैं, हालांकि इसे लेकर लंबे समय तक इंदिरा और तेजी बच्चन के बीच तनाव रहा, राशिद किदवई ने अपनी किताब में कांग्रेस के दिवंगत नेता माखन लाल फोतेदार के हवाले से लिखा है, इंदिरा ने 31 अक्टूबर 1984 को अपनी हत्या से ठीक पहले राजीव को अमिताभ को लेकर चेतावनी दी थी, इंदिरा ने राजीव और अरुण नेहरु को साथ मीटिंग के लिये बुलाया, तब राजीव गांधी कांग्रेस महासचिव हुआ करते थे।

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दो बातों का रखना ध्यान
फोतेदार के मुताबिक इस मीटिंग में इंदिरा ने राजीव को हमेशा दो बातों का ध्यान रखने को कहा था, पहला उन्होने ये कहा था कि कभी भी तेजी के बेटे अमिताभ बच्चन को राजनीति में लाने की कोशिश मत करना, इस पर राजीव ने एक शब्द भी नहीं कहा था, इंदिरा ने जो दूसरी नसीहत दी थी, वो ग्वालियर के पूर्व महाराजा माधवराव सिंधिया को लेकर थी, इंदिरा ने राजीव को आगाह करते हुए कहा था कि वो हमेशा सिंधिया से उचित दूरी बनाकर रखें। आपको बता दें कि बाद में राजीव गांधी के कहने पर ही अमिताभ चुनावी राजनीति में आये, 1984 में इलाहाबाद सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, उन्होने यूपी के दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया था, हालांकि तीन साल के भीतर ही राजनीति से किनारा कर लिया था।