हवा के रास्‍ते फैल रहा कोरोना, बच्‍चों को दुगना खतरा, लांसेट की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

कोरोना का खतरा पहले से भी तेज गति से लौट आया है, अब इसकी चपेट में बच्‍चे भी हैं । वायरस को लेकर कुछ और चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं ।

New Delhi, Apr 17: देश में कोरोना वायरस का खतरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, महानगरों में हालात बेकाबू हो रहे हैं । पिछले साल जहां कोरोना का खतरा बुजुर्गों और गंभीर बीमारी से पीडि़त लोगों के लिए ज्‍यादा बताया जा रहा था, वहीं इस बार ये बच्‍चों को अपनी चपेट में ले रहा है । कोरोना की दूसरी लहर में पिछले दो महीने के आंकड़ें देखें तो करीब 80 हजार बच्‍चे इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं । यहां तक की नवजात और अजन्‍मे बच्‍चे भी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं । इस बीच इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा के छह विशेषज्ञों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट बता रही है कि वायरस हवा के जरिए फैल रहा है ।

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लांसेट की रिपोर्ट में दावा
दुनिया भर में कोरोना का प्रकोप फिर से देखने को मिल रहा है, भारत में ये हालात खराब होते नजर आ रहे हैं । वहीं प्रसिद्ध जर्नल द लांसेट ने अपनी एक रिपोर्ट ने दावा किया है कि ज्यादातर ट्रांसमिशन हवा के रास्ते से हो रहा है, 3 देशों के 6 एक्‍सपर्ट की ओर से तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल में तत्काल बदलाव लाए जाने की जरुरत है । यह रिपोर्ट इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा के छह विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई है । जर्नल ने हवा से वायरस फैलने के सबूत के रूप में कारण भी बताए ।

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हवा से ट्रांसमीशन
रिपोर्ट में कहा गया है कि वायरस के सुपरस्प्रेडिंग इवेंट तेजी से SARS-CoV-2 वायरस को आगे ले जाता है । वास्तव में, यह महामारी के शुरुआती वाहक हो सकते हैं, ऐसे ट्रांसमिशन का बूंदों के बजाय हवा के जरिए होना ज्यादा आसान है । दरअसल ऐसा क्वारंटीन होटलों में एक-दूसरे से सटे कमरों में रह रहे लोगों के बीच देखा गया, जबकि ये लोग एक-दूसरे के कमरे में नहीं गए । एक्‍सपर्ट का दावा है कि सभी कोविड-19 मामलों में 33 प्रतिशत से 59 प्रतिशत तक मामलों में एसिम्प्टोमैटिक या प्रिजेप्टोमैटिक ट्रांसमिशन जिम्मेदार हो सकते हैं जो खांसने या छींकने वाले नहीं हैं ।

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इनडोर संक्रमण का बढ़ता खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक वायरस का ट्रांसमिशन आउटडोर (बाहर) की तुलना में इंडोर (अंदर) में अधिक होता है और इंडोर में अगर वेंटिलेशन हो तो संभावना काफी कम हो जाती है । विशेषज्ञों का कहना है कि SARS-CoV-2 हवा में पाया गया है । लैब में SARS-CoV-2 वायरस कम से कम 3 घंटे तक हवा में संक्रामक हालत में रहा । इतना ही नहीं SARS-CoV-2 वायरस कोरोना मरीजों वाले अस्पतालों के एयर फिल्टर्स और बिल्डिंग डक्ट्स में मिले हैं, यहां केवल हवा के जरिए ही पहुंच सकता है । विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमित पिंजरों में बंद जानवरों में भी वायरस के लक्षण मिले और यह एयर डक्ट के जरिए हुआ है, इसलिए ये कहना कि हवा से वायरस नहीं फैलता,  स्‍वीकार नहीं किया जा सकता ।

बच्‍चों को बचाएं
इस बार कोरोना का खतरा बच्चों में देखने को मिल रहा है । जिसका सबसे बड़ा कारण लोगों की लापरवाही है । बच्‍चों का अचानक बाहर ज्यादा निकलना, स्कूल-कॉलेज का खुल जाना, लोगों से मिलना, ग्रुप में खेलना, खराब हाईजीन और मास्क ना पहनने जैसी वजहों के चलते कोरोना का ये नया स्ट्रेन बच्चों को आसानी से अपनी चपेट में ले रहा है । गुजरात के सूरत में पिछले दिनों 14 दिन के नवजात बच्चे ने कोरोना की वजह से दम तोड़ दिया, वहीं 7 अप्रैल को सूरत में 13 साल के एक और बच्चे की मौत हुई है । हैरानी इस बात की कि  पानीपत में एक मां के गर्भ में ही बच्चे को कोरोना हो गया है । इसलिए कोरोना से अपने बच्‍चों को बचाएं, क्‍या करें नीचे वीडियो में देखें ।