ट्रेन में पढाई कर पास कर ली IAS की परीक्षा, बेहद दिलचस्प है इस युवा की कहानी!

शशांक मिश्रा का मन नौकरी में नहीं लगा, वो प्रशासनिक सेवा में जाने का ख्वाब देखने लगे, अपने सपने को साकार करने के लिये शशांक ने साल 2004 में नौकरी छोड़ दी।

New Delhi, Apr 18 : कठिन परिश्रम के बिना जिंदगी में ऊंचा स्थान हासिल करना मुमकिन नहीं है, समाज में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जिनसे ये बात साबित भी होती है, आज हम जिस शख्स के बारे में बात करने जा रहे हैं, उन्होने अपनी लगन और कड़ी मेहनत से मुकाम हासिल किया है, जिसे पानी की तमन्ना कई लोगों की होती है। हम बात कर रहे हैं यूपी के मेरठ से ताल्लुक रखने वाले शशांक मिश्रा की, मुश्किल हालातों से निकल कर शशांक ने यूपीएससी की परीक्षा में पांचवीं रैंक हासिल की है।

Advertisement

परिवार में कौन-कौन
शशांक के घर उनके तीन भाई के अलावा एक बहन और माता-पिता थे, शशांक के पिता कृषि विभाग में डिप्टी कमिश्नर के पद पर थे, पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी शशांक के कंधों पर आ गई, तो उन्होने उसे बखूबी निभाया भी, परेशानियों से जूझते हुए शशांक ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा दी और 137वीं रैंक हासिल की, इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग से बीटेक करने के बाद शशांक को एक एमएनसी में नौकरी मिल गई, इस तरह शशांक पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने भी लगे।

Advertisement

नौकरी में मन नहीं लगा
लेकिन शशांक मिश्रा का मन नौकरी में नहीं लगा, वो प्रशासनिक सेवा में जाने का ख्वाब देखने लगे, अपने सपने को साकार करने के लिये शशांक ने साल 2004 में नौकरी छोड़ दी, सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिये वो दिल्ली आ गये, लेकिन दिल्ली में गुजर-बसर करना उनके लिये मुश्किल हो गया। लिहाजा वो ट्रेन से हर रोज मेरठ से दिल्ली आने-जाने लगे, इस दौरान वो समय का सदुपयोग करते हुए ट्रेन में ही पढाई लिखाई भी करने लगे, सोच-समझकर खर्च करने के बावजूद कई बार खाने के लि. भी पैसे नहीं बचते थे, लेकिन शशांक मिश्रा ने हार नहीं मानी।

Advertisement

मेहनत रंग लाई
शशांक मिश्रा की मेहनत रंग लाई, पहले ही प्रयास में उनका चयन एलाइड सर्विसेज में हो गया, लेकिन उनका सपना तो कुछ और ही था, उन्होने दोबारा कोशिश की, साल 2007 में परीक्षा में उन्होने 5वां रैंक हासिल किया और आईएएस का सपना साकार किया।