बंगाल चुनाव- अब अजेय नहीं दिख रही ममता बनर्जी, जीवन के सबसे कठिन चुनाव का सामना

ममता दीदी के लिये सबसे बड़ा नुकसान शुभेन्दु अधिकारी हैं, जो इस चुनाव में उन्हें चुनौती दे रहे हैं, दोनों नंदीग्राम में प्रतिद्वंदी उम्मीदवार हैं, इस जगह से दोनों ने 15 साल पहले एक साथ प्रचार किया था।

New Delhi, May 02 : बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस बार सबसे कड़ी लड़ाई लड़ी है, खुद को स्ट्रीटफाइटर कहने वाली ममता दीदी अब अजेय नहीं दिख रही है, इस बार ममता को बीजेपी से क़ड़ा मुकाबला मिलता दिख रहा है, 2016 में बंगाल में दीदी की अगुवाई में टीएमसी ने 294 सीटों में से 211 पर जीत हासिल की थी, विपक्ष का सफाया कर दिया था, वहीं साल 2011 की तुलना में और अधिक बहुमत के साथ फिर से चुनी गई, इस दौरान उन्होने परिवर्तन का नारा दिया था।

Advertisement

लैंडस्लाइड विक्ट्री
नारदा घोटाले में कथित तौर पर कई पार्टी नेताओं के शामिल होने के बावजूद ममता की पार्टी पर 2016 में जनता ने भरोसा जताया था, इस बार बीजेपी ने परिवर्तन का नारा दिया है, बीजेपी ने इस चुनाव में असोल परिवर्तन का नारा दिया है, Mamta (3) पिछले एक साल में टीएमसी और ममता ने अपने कई करीबी सहयोगियों को खो दिया, ज्यादातर बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो गये।

Advertisement

ममता का सबसे बड़ा नुकसान शुभेन्दु अधिकारी
ममता दीदी के लिये सबसे बड़ा नुकसान शुभेन्दु अधिकारी हैं, जो इस चुनाव में उन्हें चुनौती दे रहे हैं, दोनों नंदीग्राम में प्रतिद्वंदी उम्मीदवार हैं, इस जगह से दोनों ने 15 साल पहले एक साथ प्रचार किया था, Mamta बीजेपी की चुनौती के बाद ममता ने कोलकाता में अपनी सुरक्षित सीट भवानीपुर छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया, उनका ये फैसला कैसा था, इस बारे में तो परिणाम के बाद ही पता चल सकेगा, हालांकि नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के फैसले से ये संदेश गया कि ममता लड़ाई में पीछे नहीं हटेंगी।

Advertisement

पैर टूटा
नंदीग्राम में कार एक्सीडेंट की घटना में सीएम को गंभीर चोट आई, इस घटना ने उन लोगों को अगस्त 1990 की याद दिला दी, जब ममता बनर्जी पर कथित वामपंथी गुडों ने हमला किया था, बीजेपी और कांग्रेस में से कई ने ममता बनर्जी के दावों पर सवाल खड़े किये थे, घटना के बाद पूरे प्रचार अभियान में ममता व्हीलचेयर पर नजर आई, और ये चर्चा का केन्द्र बना रहा।