ये है बीजेपी को खुल्ला चैलेंज देने वाले प्रशांत किशोर का ट्रैक रिकॉर्ड, नरेन्द्र मोदी की खोज है पीके

2013 गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार पीके ने चुनावी रणनीति का काम शुरु किया, हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश ने उन्हें जाना।

New Delhi, May02 : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जिस बीजेपी के लिये अपना पहला बड़ा कैंपेन लांच किया था, आज उसी को खुल्ला चैलेंज कर रहे हैं, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिये पीके टीएमसी के खेमे में खड़े थे, वो डंके की चोट पर दावा कर रहे थे कि बीजेपी प्रदेश में दहाई का आंकड़ा पार करने में ही हांफ जाएगी, आईये आपको बताते हैं कि 2012 से नेशनल सीन में आये प्रशांत किशोर का ट्रैक रिकॉर्ड अब तक कैसा रहा है।

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बीजेपी के साथ शुरु किया था सफर
2013 गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार पीके ने चुनावी रणनीति का काम शुरु किया, हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश ने उन्हें जाना, pk 2 मोदी के मार्केटिंग से लेकर ब्रैडिंग और एडवर्टाइजिंग का जो फार्म्यूला पीके लेकर आये, वो सुपरहिट रहा, हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव में जीत के बाद पीके ने बीजेपी से दूरी बना ली, उन्होने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी नाम से एक संगठन खड़ा किया।

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2015 में नीतीश कुमार
पीके और आईपैक के लोग अब बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिये काम कर रहे थे, प्रचार की जिम्मेदारी पीके के हाथों में थी, मुकाबला बीजेपी से था, Nitish Kumar प्रशांत किशोर की रणनीति से अब जदयू-राजद और कांग्रेस का गठबंधन जीत गया, ब्रैंड पीके और मजबूत हो गया, नीतीश के साथ पीके की नजदीकियां बढने लगी, हालांकि बाद में दोनों के रिश्ते में खटास आ गई।

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पंजाब में कैप्टन
बीजेपी और जदयू को सफल बनाने के बाद 2016 में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को जीत दिलाने की जिम्मेदारी ली, पंजाब में लगातार दो चुनाव हारने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह को सेवा देने पहुंचे, sidhu captain वहां उनका मुकाबला आम आदमी पार्टी और बीजेपी-अकाली गठबंधन से था, यहां भी पीके कैप्टन को सत्ता में वापस लाने में सफल रहे।

यूपी में लगा तगड़ा झटका
पंजाब के साथ यूपी में भी प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिये प्लान बना रहे थे, लेकिन बीजेपी की रणनीति के आगे उनकी एक ना चली, कांग्रेस की बुरी गत हो गई, बीजेपी अकेले 300 सीटें जीत गई, rahul gandhi कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 7 सीटें आई, कई राजनीतिक पंडितों ने यूपी में कांग्रेस के साथ जाने पर पीके के फैसले को गलत बताया था।

आंध्र और दिल्ली में सफलता
मई 2017 में पीके को वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया, आईपैक ने जगन की इमेज बदलने के लिये कई कैपेंन चलाय़े, विधानसभा चुनाव में जगन की पार्टी को 175 में से 151 सीटें मिली, पीके को बड़ा बूस्ट दिल्ली में इसी साल हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों से भी मिला, आप ने उन्हें रणनीतिकार बनाया, पार्टी ने 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल की।

अब बंगाल और तमिलनाडु
पीके ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में किसी पार्टी का समर्थन नहीं किया, नीतीश संग जनवरी में ही उनके रास्ते अलग हो गये थे, जदयू ने उन्हें निकाल दिया था, अब पीके के सामने दो बड़े प्रोजेक्ट थे, Prashant-Kishor-Mamata-banerjee (1) पहला बंगाल में दीदी, और दूसरा तमिलनाडु में डीएमके, दोनों ही प्रोजेक्ट उनका सफल रहा।