मकान मालिक या किरायेदार? जानें,  मोदी सरकार द्वारा मंजूर नए कानून से किसे है फायदा

किराये पर संपत्ति लेने-देने के मामले को रेगुलेट करने के लिए मोदी सरकार ने नए कानून को मंजूरी दी है, क्‍या है ये और इससे किसे है फायदा आगे पढ़ें ।

देश में मकान-मालिक और किरायेदार के बीच होने वाली डील्‍स को कानूनी रूप से परिभाषित करने की जो मौजूदा व्यवस्था है, उसमें कई तरह की खामियां हैं । जिसे दूर करने के लिए, देश में किराये की संपत्ति के बाजार को रेगुलेट करने के साथ किराये की प्रॉपर्टी की उपलब्धता बढ़ाने, किरायेदारों और मकान मालिकों के हितों की रक्षा करने और किराये की संपत्ति से जुड़े विवादों का अदालतों पर से बोझ खत्म करने के  साथ ही उनका तेजी से निपटारा करने के लिए मोदी सरकार नया कानून लाई है । कानून का मकसद किराये की संपत्ति के कारोबार को संगठित रूप देना है, आगे पढ़ें विस्‍तार से ।

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क्‍या हैं प्रावधान?
किराये पर संपत्ति लेन-देन के काम को रेगुलेट करने के लिए नए कानून में जिलों के स्तर पर एक ‘रेंट अथॉरिटी’ बनाने का प्रावधान किया गया है । ये अथॉरिटी रियल एस्टेट मार्केट को रेगुलेट करने वाले ’रेरा’ की तर्ज पर बनाई जाएगी । इस अथॉरिटी के बनने के बाद जब कोई मकान मालिक और किरायेदार रेंट एग्रीमेंट करेंगे तो उन्हें इस अथॉरिटी के सामने पेश होना होगा ।  दोनों पक्षों को एग्रीमेंट होने की तारीख से दो महीने के अंदर अथॉरिटी को सूचना देनी होगी । अथॉरिटी अपनी वेबसाइट पर रेंट एग्रीमेंट से जुड़े डेटा भी रखेगी ।

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विवाद होने पर तेजी से निपटारा
मोदी सरकार का ये नया कानून मकान मालिक और किरायेदार के बीच किसी विवाद की स्थिति पैदा होने पर तेजी से निपटारे की व्यवस्था करता है । विवाद के हालात होने पर कोई भी पक्ष रेंट अथॉरिटी के पास जा सकता है । अगर अथॉरिटी के फैसले से कोई भी पक्ष नाखुश होता है तो वो आगे रेंट कोर्ट या ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है, हर राज्य में इसके लिए रेंट ट्रिब्यूनल बनाए जाएंगे । इन ट्रिब्‍यूनल्‍स को मामले की सुनवाई में 60 दिन के अंदर फैसला करना होगा । ऐसे मामले दीवानी अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आएंगे । नया किरायेदार कानून मकान-मालिकों को मकान पर कब्जा हो जाने के डर से आजाद करता है, मकान मालिक अगर किराएदार को घर खाली करने का नोटिस देता है तो किरायेदार को एग्रीमेंट समाप्त होने की स्थिति में जगह को खाली करना होगा । ऐसा न करने पर मकान मालिक अगले दो महीने के लिए किराया दोगुना और उसके बाद चार गुना तक बढ़ा सकता है । वहीं दूसरे केस में यदि किरायेदार लगातार दो महीने किराया नहीं देता है तो मकान मालिक अपनी जगह खाली कराने के लिए रेंट कोर्ट जा सकता है ।

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सिक्‍योरिटी डिपोजिट की भी समय सीमा होगी
मकान-मालिक और किरायेदारों के बीच झगड़े की एक बड़ी वजह सिक्योरिटी डिपॉजिट है । नए कानून में किरायेदारों का भी पूरा ख्याल रखा गया है, कानून में सिक्योरिटी डिपॉजिट की अधिकतम सीमा तय की गई है । ये अलग-अलग शहरों में अलग है, नए कानून में स्पष्ट किया गया है कि रिहाइशी संपत्ति के लिए अधिकतम दो महीने का किराया सिक्योरिटी डिपॉजिट और गैर-रिहायशी प्रॉपर्टी के लिए ये अधिकतम छह महीने का किराया सिक्योरिटी डिपॉजिट हो सकता है । बहरहाल, ये जरूर जान लें कि केन्द्र सरकार का ये कानून एक मॉडल एक्ट है,  इसे लागू करने का काम राज्य सरकारों का है।