नाराज सचिन पायलट को कांग्रेस का फाइनल ऑफर, अब सिर्फ दो विकल्प, फैसले का इंतजार
कांग्रेस ने अब आखिरी फैसला सचिन पायलट पर सौंप दिया है, नाराज नेता को मनाने की आखिरी कोशिश कर दी गई है अब देखना है सचिन क्या फैसला लेंगे । पूरी खबर पढ़ें ।
New Delhi, Jun 17: राजस्थान में पायलट बनाम गहलोत के बीच मचे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस ने सचिन पायलट को फाइनल ऑफर दिया है । मीडिया रिपार्ट के मुताबिक नाराज पायलट को मनाने के लिए, आलाकमान ने उनके समर्थकों को राजस्थान कैबिनेट में 3 मंत्रिपद ऑफर किए है साथ ही उन्हें महासचिव और राज्य का प्रभारी बनाने का ऑफर भी दिया गया है । बताया जा रहा है कि ये कांग्रेस की आखिरी कोशिश है । जाहिर है, अब गेंद सचिन के पाले में हैं ।
6 दिन से दिल्ली में थे सचिन पायलट
आपको बता दें सचिन पायलट पिछले 6 दिनों से दिल्ली में थे, फिर वो कांग्रेस आलाकमान से मिले बिना ही राजस्थान वापस लौट गए । मीडिया को मिल रही खबरों के मुताबिक पायलट समर्थक 3 विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह और निगम/ बोर्ड में उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा । निगम और बोर्ड में कोई संख्या तय नहीं की जा सकती, बताया जा रहा है कि सचिन 5 से 6 मंत्री पद चाहते हैं । जबकि पार्टी और अशोक गहलोत के मुताबिक 9 मंत्रिपद खाली हैं, इसमें बीएसपी के 6 विधायकों और निर्दलीय लगभग एक दर्जन विधायकों में से भी कुछ को मंत्री बनाना है ।
सचिन मान जाएं तो मंत्रिमंडल विस्तार जल्द
कांग्रेस पार्टी सचिन को महासचिव बनाकर किसी महत्वपूर्ण राज्य का प्रभारी बनाने को भी तैयार है । पार्टी की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि अगर सचिन मान जाएं तो मंत्रिमंडल विस्तार जल्दी कर दिया जाएगा । ये भी आलाकमान ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल राजस्थान में अशोक गहलोत ही पार्टी के नंबर 1 नेता हैं, सचिन पार्टी के भविष्य है, लेकिन उनको गहलोत के साथ मिलकर ही आगे बढ़ना होगा । दरअसल पार्टी अपने दूसरे दिग्गजों की तरह सचिन को बीजेपी के हाथ खोना नहीं चाहती, लेकिन गहलोत नाराज हों ये भी नहीं किया जा सकता । इसीलिए ये संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है । बताया जा रहा है पिछले साल के मुकाबले सचिन की ताकत कम हुई है इसलिए उनका दबाव भी पार्टी पर कम हुआ है ।
सचिन क्या फैसला लेंगे ?
सूत्रों के हवाले से खबर है कि सचिन राज्य में निगम और बोर्ड के खाली लगभग 40 पदों में से आधे या कम से कम 15 पद चाहते हैं, जिसे लेकर न तो अशोक गहलोत तैयार हैं और न ही पार्टी । अब गेंद सचिन के पाले में है, वो पार्टी के इस ऑफर का जअ तक जवाब नहीं देते उनसे आलाकमान की मुलाकात की संभावना बेहद कम है । मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनके समर्थकों विधायकों की संख्या भी अब कम हो गई है, यही वजह है कि गहलोत और आलाकमान दोनों ही सचिन के दबाव में नहीं आ रहे हैं । अंतिम फैसला अब सचिन को ही करना है।