बोझ नहीं वरदान है बेटियां, 5 में से दो पहले अधिकारी, अब तीन ने एक साथ रचा इतिहास

एक बहन मंजू का 2012 में राज्य प्रशासनिक सेवा में सहकारिता विभाग में चयन हुआ था, जबकि सबसे पहली बहन रोमा का 2011 में चयन हो चुका है, अब तीन और बहनें भी आरएएस बन गई है।

New Delhi, Jul 15 : राजस्थान के हनुमानगढ जिले के रावतसर की 3 सगी बहनों ने एक साथ राजस्थान प्रशासनिक सेवा में अधिकारी बन इतिहास रच दिया है, इन तीन बहनों ने अपनी लगन से ये साबित कर दिया है, कि अगर अच्छी परवरिश की जाए, तो बेटियां बोझ नहीं वरदान साबित होती है, राजस्थान प्रशासनिक सेवा में तीनों बहनें एक साथ बैठी थी, और अब एक साथ पास हुई है, तीनों ही बहनों ने एक साथ सरकारी स्कूल से पांचवीं तक की पढाई की थी, आइये इनके सफलता की कहानी आपको बताते हैं।

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2 बहन का पहले चयन
एक बहन मंजू का 2012 में राज्य प्रशासनिक सेवा में सहकारिता विभाग में चयन हुआ था, जबकि सबसे पहली बहन रोमा का 2011 में चयन हो चुका है, अब तीन और बहनें भी आरएएस बन गई है। इन तीनों में अंशु ने ओबीसी गर्ल्स में 31, रीतू ने 96 और सुमन ने 98वीं रैंक हासिल की है, कभी पांचों बहनें गांव के सरकारी स्कूल में पढी, फिर माता-पिता ने शहर जाकर प्राइवेट स्कूल में एडमिशन कराया।

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अभिशाप नहीं
बेटों की चाहत रखने वाले माता-पिता को भी इन पेरेंट्स से सीखना चाहिये, जिन्होने बेटियों को अभिशाप नहीं समझा, बल्कि उन्हें हीरे की तरह निखारा, आज हनुमानगढ जिले के एक छोटे से गांव की 3 बेटियों ने एक साथ आरएएस बन माता-पिता का सपना साकार किया है, पूरे देश को गौरवान्वित किया है।

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माता-पिता को श्रेय
चयनित हुई तीनों बहनों की बड़ी बहन से जब बात की गई, तो उन्होने कहा कि ये सब उनके माता-पिता के मेहनत का फल है, आज उनकी बेटियां इस मुकाम पर पहुंची है, सबसे बड़ी बहन रोमा ने बताया कि उनके माता-पिता को समाज से काफी ताने सुनने को मिले थे, बेटियों को इतना पढा लिखा कर क्या करेंगे, लेकिन उन्होने इस बात की परवाह नहीं की, उन्होने कड़ी मेहनत और लगन से हमको पढाया-लिखाया, हमने भी उनके सपने साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और आज यहां तक पहुंचे हैं।