बेटा मोदी सरकार में है मंत्री फिर भी खेतों में काम करते हैं माता-पिता, सादगी दिल जीत लेगी

केंद्र सरकार में राज्‍य मंत्री एल मुरुगन बेहद साधारण परिवार से आते हैं, बेटे को मंत्रिपद मिलने के बाद भी उनके माता-पिता खेतों में काम करते नजर आते हैं ।

New Delhi, Jul 19: मंत्रीपद पर आने के बाद विधायकों या सांसदों की ही नहीं उनके परिवार की भी चाल बदलते देर नहीं लगती । सरकारी सुख सुविधाओं का फायदा उठाने में कोई पीछे नहीं रहता । लेकिन कई ऐसे विरले भी हैं जो इस पद को जिम्‍मेदारी समझते हैं, जिनके परिवार आज भी सादगी से रहना ही पसंद करते हैं । हम बात कर रहे हैं, मोदी कैबिनेट के राज्‍य मंत्री एल मुरुगन की, जिनके माता-पिता आज भी खेतों में फज्ञवड़ा चलाते हैं । उन्‍हें इस बात की खुशी है कि बेटा इतने ऊंचे मुकाम तक पहुंचा है मगर वे आखिर तक अपने पैरों पर खड़े रहना चाहते हैं।

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केन्‍द्रीय मंत्री के माता-पिता की सादगी ने जीता दिल
बेटे के केन्‍द्रीय मंत्री बनने के बाद भी 59 साल की एल वरुदम्‍मल कड़ी धूप में खेती काcabinet minister l murugan family (2) काम करती हैं । वहीं दूसरे खेत में 68 साल के लोगनाथन जमीन समतल करने में लगे हैं। इन दोनों को देखकर किसी को भी यह अंदाजा नहीं होगा कि ये एक केंद्रीय मंत्री के माता-पिता हैं । दोनों का बेटा एल मुरुगन इसी महीने केंद्र में राज्‍य मंत्री बना है, लेकिन ये दंपति खेतों में पसीना बहाने से रुके नहीं । उन्‍हें अपने बेटे पर गर्व है, लेकिन खुद की रोटी खुद कमाना अच्‍छा लगता है ।

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बेटे पर गर्व
मीडिया जब इस दंपति से मिलने, बधाई देने इनके घर तक पहुंची तो cabinet minister l murugan family (3)दोनों ने सादगी से कहा कि उन्‍होंने बेटे के लिए कुछ नहीं किया । टाइम्‍स ऑफ इंडिया की टीम ने एल मुरुगन की मां से बात करनी चाही तो वरुदम्‍मल हिचकते हुए बाहर आईं और बोलीं  “मैं क्‍या करूं अगर मेरा बेटा केंद्रीय मंत्री बन गया है तो?” उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें गर्व तो है मगर वो इसका श्रेय नहीं लेना चाहतीं। मां ने कहा – ‘हमने उसके लिए कुछ नहीं किया।’

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खेतों में डटे रहे
कोनूर, नमक्‍कल के अरुणथथियार समुदाय से आने वाले एल मुरुगन के माता-पिता एसबेस्‍टस की छत वाली झोपड़ी में रहेते हैं। कभी कुली का काम करते हैं तो कभी खेतों में । बेटा केंद्रीय मंत्री बन गया है इस बात से cabinet minister l murugan family (4)इनकी जिंदगी में कोई फर्क नहीं पड़ा । खबर भी पड़ोसियों से ही लगी, लेकिन फिर भी ये रुके नहीं । आपको बता दें मार्च 2020 में जब मुरुगन को तमिलनाडु बीजेपी का प्रमुख बनाया गया था, तब वे खुद अपने माता-पिता से मिलने कोनूर पहुंचे थे। पांच साल दंपति के छोटे बेटे की मौत हो गई थी ।

दो-दो मंत्रालय का प्रभार
आपको बता दें एल मुरुगन के पास केंद्र में मत्‍स्‍य पालन, पशुपालन और सूचना तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय है। उन्‍हें दोनों विभागों का राज्‍य मंत्री बनाया गया है। मुरुगन ने 7 जुलाई को बाकी नए सदस्‍यों के साथ शपथ ली थी । मुरगन ने इस साल विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वो डीएमके उम्‍मीदवार से हार गए।
मुरुगन के पिता के अनुसार, वो उनसे बार-बार कहते हैं कि चेन्‍नै आकर उनके साथ रहें। मां वरुदम्‍मल ने बताया  “हम कभी-कभार जाते और वहां चार दिन तक उसके साथ रहते। हम उसकी व्‍यस्‍त लाइफस्‍टाइल में फिट नहीं हो पाए और कोनूर लौटना ज्‍यादा सही लगा।” वहीं गांव में ही रहने वाले वासु श्रीनिवासन ने मीडिया से बात की और बताया कि जब राज्‍य सरकार कोविड के समय राशन बांट रही थी तो ये लाइन में लगे थे। श्रीनिवासन के मुताबिक, दोनों अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। उनके पास जमीन का एक छोटा टुकड़ा भी नहीं है।