येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद कौन होगा अगला सीएम? ये तीन नाम रेस में सबसे आगे, एक मोदी का मंत्री

अगले सीएम के तौर पर रविवार तक 3 नाम सामने आये थे, पहला नाम है बसवराज बोम्मई का, जो लिंगायत समुदाय से आते हैं।

New Delhi, Jul 26 : कर्नाटक की राजनीति में सोमवार को नया मोड़ आ गया है, बीजेपी नेता तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने पद से इस्तीफा दे दिया है, इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद एक और दिलचस्प बात ये देखने वाली है, कि बीजेपी सूबे की कमान किस नेता को सौंपती है। संसद भवन में अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच मीटिंग हुई, कर्नाटक के नये सीएम के चेहरे को लेकर चर्चा की गई, बीजेपी ऑब्जर्वर का नाम आज शाम तक तय करेगी, जो अगले एक दो दिन में कर्नाटक जाएंगे, इस सप्ताह के अंत तक सीएम के नाम को लेकर फैसला लिया जाएगा, तब तक के लिये येदियुरप्पा कार्यवाहक सीएम होंगे, सूत्रों का दावा है कि धर्मेन्द्र प्रधान ऑब्जर्वर होंगे।

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इन तीन नामों की चर्चा
अगले सीएम के तौर पर रविवार तक 3 नाम सामने आये थे, पहला नाम है बसवराज बोम्मई का, जो लिंगायत समुदाय से आते हैं, अभी कर्नाटक सरकार में गृह मंत्री होने के साथ-साथ कानून मंत्री भी हैं, दूसरा नाम विश्वेश्वरा हेगड़े कगेरी का है, जो ब्राह्मण है, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष हैं, तीसरा नाम केन्द्रीय कोयल खन्न एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का है।

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संघ क्या चाहती है
माना जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जगह लिंगायत समुदाय से ही आने वाले किसी और मंत्री या विधायक को सीएम बनाना चाहता है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि इस बार बीजेपी गैर लिंगायत को मुख्यमंत्री बनाने के बारे में भी सोच रही है। येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाये जाने के बीच 500 से ज्यादा लिंगायत संतों ने येदियुरप्पा को पद से नहीं हटाये जाने की मांग की थी, रविवार को मुरुगा मठ के संत श्री शिवमूर्ति शरानारु ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि हम चाहते हैं कि येदियुरप्पा सीएम बने रहें, लेकिन फैसला हाईकमान को करना है, उन्होने ये भी कहा था कि बीजेपी आलाकमान उचित फैसला लेगा।

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दिल्ली में मोदी, नड्डा मुलाकात
कर्नाटक की सियासत में लंबे समय से चर्चा थी कि हाल ही में येदियुरप्पा ने नईदिल्ली जाकर पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी, तभी ये बात कही जा रही थी कि yeddu अब येदियुरप्पा अपना पद छोड़ सकते हैं, जब से येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलें तेज हुई थी, तभी से लिंगायत समुदाय के लोगों का येदियुरप्पा से मिलना जारी था।