जब उस कंपकंपाती रात में ममता बनर्जी के लिए खुले थे 10 जनपथ के दरवाजे, सोनिया से था गहरा रिश्‍ता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुलाकात की चर्चा तेज है, दोनों के बीच एक जमाने में प्रगाढ़ संबंध हुआ करते थे ।

New Delhi, Jul 28: कभी कांग्रेस पार्टी का हिस्‍सा रहीं ममता बनर्जी ने आज भारतीय राजनीति में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है । सोनिया गांधी, बहुत पहले ही ये जान गईं थीं कि ममता एक दिन बड़ी नेता बनेंगी । यही वजह रही कि उन्‍होंने ममता को कांग्रेस में रोकने की बहुत कोशिश की, वो चाहती थीं कि ममता पार्टी छोड़कर न जाएं। सोनिया और ममता के रिश्ते कभी बहुत ही मजबूत हुआ करते थे, लेकिन फिर कुछ राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे हुए कि दोनों एक दूसरे से दूर हो गए । उनके कुछ किस्‍से आज भी रोचक हैं ।

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कंपकंपाती सर्दी में ममता के लिए खुला था  दस जनपथ का दरवाजा 
ये किस्‍सा तब का है जब दिवंगत नेता प्रणब मुखर्जी और ममता बनर्जी के बीच ठन गई थी । ममता को लगने लगा था कि प्रणब ने उनके विरोध में मोर्चा खोल दिया है। ममता, पश्चिम बंगाल चुनाव में मुख्यमंत्री पद का mamta bannerjee sonia gandhi relationship (2)उम्मीदवार बनना चाहती थीं लेकिन प्रणब के विरोध को देखते हुए उन्‍हें कांग्रेस से अलग होने का मन बना लिया था । उस समय सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में नहीं थी, लेकिन वो ममता की अहमयित को समझते हुए उन्‍हें कांग्रेस में ही रहने के लिए रोकना चाहती थी। ममता से इस बारे में बाते करने के लिए उन्होंने 22 दिसंबर 1997 की कंपकंपाती रात में दस जनपथ के दरवाजे खुलवाए थे।

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सोनिया को अध्‍यक्ष बनाना चाहती थीं ममता
हालांकि सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद भी ममता शांत नहीं हुईं । उन्‍होंने कहा मैंने आपका ख्याल रखते हुए  कई दिनों तक इंतजार किया है। लेकिन सीताराम केसरी जी जो कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष थे, मुझे पश्चिम mamta bannerjee sonia gandhi relationship (3)बंगाल की मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने को तैयार नहीं हैं । अब बहुत देर हो गई है, तृणमूल इसका जवाब देगी। बताया जाता है कि ममता केवल इस शर्त पर कांग्रेस में लौटने को तैयार थीं कि सोनिया गांधी पार्टी की कमान संभाल लें। हालांकि ऐसा होते-होते बहुत देर हो गई, सोनिया ने 1998 में पार्टी की कमान संभाली लेकिन तब तक ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के जरिए पश्चिम बंगाल में जड़ें जमा लीं थीं ।

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राजीव गांधी के कारण सोनिया से हुईं करीब
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी से ममता बनर्जी के बहुत अच्छे रिश्ते थे। राजीव ने हमेशा उन्हें अपना पूरा समर्थन दिया, भरोसा जताया था। इसके साथ ही राजीव गांधी ने उन्हें यूथ कांग्रेस का महासचिव mamta bannerjee sonia gandhi relationship (1)भी बनाया था। राजनीति के जानकार कहते हैं कि कभी-कभी लगता था जैसे दोनों के बीच भावनात्मक रिश्ता है । देश में जब विदेश मूल के व्‍यक्ति को देश के सबसे पड़ पद पर बैठने से रोक लगाने का विधेयक एनडीए लेकर आई तो ममता ने इस पर सरकार का साथ नहीं दिया था ।

गांधी परिवार से रिश्तों में दूरी
सोनिया और राहुल गांधी से ममता बनर्जी की दूरी पिछले कुछ वर्षों में देखने को मिली है, जानकार कहते हैं जब से राहुल गांधी पार्टी के मसलों पर फैसले लेने लगे थे तब से ममता उनसे दूर होती चली गईं । साल 2011 में वे यूपीए से अलग हो गईं थीं और 2012 में वो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं । ममता के शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया-राहुल को भी निमंत्रण भेजा गया, लेकिन दोनों नेता यहां नहीं पहुंचे । 2016 में भी ममता बनर्जी ने राहुल गांधी को गठबंधन का प्रस्ताव दिया था लेकिन इस पर कुछ नहीं हुआ । ममता को अब भी गिला है कि प्रणब मुखर्जी के कहने पर सोनिया ने शपथ ग्रहण समारोह में जाने से मना किया था ।