मां के गहने बेच जीता था सोना, टोक्यो के पदकवीर ने मोदी के सामने सुनाई संघर्ष की कहानी

टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले देवेन्द्र झाझरिया ने कहा कि सर सबसे पहले आपको मेरी बेटी जिया की ओर से नमस्कार, टोक्यो जाने से पहले आपने जो प्रोत्साहन दिया, परिवार से बात की, उस हौसले से हम टोक्यो पहुंचे।

New Delhi, Sep 12 : पैरालंपिक में 53 साल के इतिहास में भारत ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, भापत ने इससे पहले 53 साल में कुल 12 मेडल जीते थे, लेकिन सिर्फ टोक्यो में 19 मेडल जीते हैं, इसमें से एक मेडल भाला फेंक खिलाड़ी देवेन्द्र झाझरिया का है, ये उनका तीसरा पैरालंपिक मेडल था, इससे पहले उन्होने 2004 एथेंस और 2016 रियो में भी गोल्ड मेडल जीता था।

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मेडल खास
हालांकि इस बार उन्होने गोल्ड नहीं बल्कि सिल्वर ही जीते लेकिन फिर भी मेडल उनके लिये बहुत खास था, ये उनका तीसरा पैरालंपिक मेडल था, देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो पैरालंपिक के सभी पदकवीरों से मुलाकात की, जिसका वीडियो पीएम के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर जारी किया गया, इस वीडियो में देवेन्द्र झाझरिया भी पीएम मोदी का आभार जताते दिखे, उन्होने एक कहानी भी साझा की, जो 2004 एथेंस पैरालंपिक की थी।

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मां के गहने बेच रचा इतिहास
टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले देवेन्द्र झाझरिया ने कहा कि सर सबसे पहले आपको मेरी बेटी जिया की ओर से नमस्कार, टोक्यो जाने से पहले आपने जो प्रोत्साहन दिया, परिवार से बात की, उस हौसले से हम टोक्यो पहुंचे, उसी हौसले से हम मैदान पर गये, उसी हौसले से हम खेले और उसी हौसले से हमने मेडल जीता। झाझरिया ने कहा आज मैं 2004 एथेंस पैरालंपिक का एक किस्सा आपके सामने सुनाऊंगा, 2004 में मैं कॉलेज स्टूडेंट था, उस समय एथेंस पैरालंपिक में जाने के लिये मैने मां के गहने बेचकर पैसा मैनेज किया था, फिर मैंने गोल्ड जीता और मुझे खुशी हुई।

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वो खिलाड़ी के पीछे 3 लोग कौन हैं
देवेन्द झाझरिया ने एक और किस्सा बताया, उन्होने कहा कि एथेंस में ही एक खिलाड़ी था, उसके पीछे 3 लोग थे, मैंने किसी से पूछा कि भाई वो खिलाड़ी के पीछे 3 लोग और कौन हैं, तो उसने मुझे बताया, कोच, फिजियो और फिटनेस ट्रेनर, वहीं मैं अकेला था, लेकिन टोक्यो में मेरे साथ भी मेरे कोच, फिजियो और फिटनेस ट्रेनर थे, तो हम कह सकते हैं ये बदलता भारत है।

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