तब मोदी जी से पहले पहुंचे थे मेरे पिता, विजय रुपाणी की बेटी का छलका दर्द, खूब वायरल हो रहा पोस्ट

राधिका ने अपनी पोस्ट में बचपन का जिक्र करते हुए लिखा, पापा ने कभी अपना निजी काम नहीं देखा, उन्हें जो जिम्मेदारी मिली, उसे पहले निभाया, कच्छ के भूकंप के समय भी सबसे पहले गये।

New Delhi, Sep 14 : गुजरात में बीजेपी ने बड़ा फेरबदल करते हुए विजय रुपाणी से इस्तीफा ले लिया है, भूपेन्द्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाया गया है, रुपाणी के इस्तीफे के पीछे कई कारण बताये जा रहा हैं, हालांकि रुपाणी की बेटी राधिका ने अब चुप्पी तोड़ी है, एक फेसबुक पोस्ट के जरिये अपना दर्द बयां किया है, उन्होने लिखा, जब 2002 में अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ, तो मोदी जी से पहले मेरे पिताजी वहां पहुंचे थे।

Advertisement

क्या लिखा
विजय रुपाणी की बेटी ने अपने फेसबुक पोस्ट का शीर्षक लिखा है, एक बेटी के नजरिये से विजय रुपाणी, उन्होने लिखा, बहुत कम लोग जानते हैं कि कोरोना और ताउते तूफान जैसी बड़ी दिक्कतों में मेरे पिता सुबह 2.30 बजे जगा करते थेस लोगों के लिये व्यवस्था कराते थे, फोन पर लगे रहते थे। कई लोगों के लिये मेरे पिता का कार्यकाल एक कार्यकर्ता के रुप में शुरु हुआ और कई राजनीतिक पदों के जरिये मुख्यमंत्री तक पहुंचा, लेकिन मेरे विचार से मेरे पिता का कार्यकाल 1979 मोरबी बाढ, अमरेली में बादल फटने की घटना, कच्छ भूकंप, स्वामीनारायण मंदिर, आतंकी हमला, गोधरा घटना, बनासकांठा की बाढ से शुरु हुआ, ताउते तूफान और यहां तक कि कोविड के कारण भी मेरे पिता पूरी जान लगाकर काम कर रहे थे।

Advertisement

निजी काम में नहीं देखा
राधिका ने अपनी पोस्ट में बचपन का जिक्र करते हुए लिखा, पापा ने कभी अपना निजी काम नहीं देखा, उन्हें जो जिम्मेदारी मिली, उसे पहले निभाया, कच्छ के भूकंप के समय भी सबसे पहले गये, बचपन में भी मम्मी-पापा हमें घुमाने नहीं ले जाते थे, वो हमें मूवी थिएटर नहीं बल्कि किसी कार्यकर्ता के यहां ले जाते थे, स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में आतंकी हमले के समय मेरे पिता वहां पहुंचने वाले पहले शख्स थे, वो मोदी जी से पहले मंदिर परिसर में पहुंचे थे।

Advertisement

आलोचकों पर निशाना
इस पोस्ट में राधिका ने उन लोगों पर भी निशाना साधा है, जिनका कहना था कि उनकी मृदुल छवि उनके फेल होने का कारण बनी, राधिका ने एक शीर्षक का हवाला देते हुए कहा कि रुपाणी की मृदुभाषी छवि ने उनके खिलाफ काम किया, राधिका कहती हैं, क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता नहीं होना चाहिये, क्या ये एक आवश्यक गुण नहीं है, जो हमें एक नेता में चाहिये, उन्होने कड़े कदम उठाये हैं, भूमि हथियाने वाला कानून, लव जिहाद, गुजरात आतंकवाद नियंत्रण, संगठित अपराध अधिनियम जैसे फैसले इस बात के सबूत हैं, क्या कठोर चेहरे का भाव पहनना एक नेता की निशानी है। उन्होने कहा कि घर पर हम हमेशा चर्चा करेंगे, क्या एक साधारण व्यक्ति भारतीय राजनीति में जीवित रहेगा, जहां भ्रष्टाचार और नकारात्मकता प्रचलित है, मेरे पिता हमेशा कहते थे कि राजनीति और राजनेताओं की छवि भारतीय फिल्मों और सदियों पुरानी धारणा से प्रभावित है, हमें इसे बदलना होगा, उन्होने कभी गुटबाजी का समर्थन नहीं किया, यही उनकी विशेषता थी, कुछ राजनीतिक विश्लेषक सोच रहे होंगे, कि ये विजय भाई के कार्यकाल का अंत है, लेकिन हमारी राय में उपद्रव या प्रतिरोध के बजाय आरएसएस तथा बीजेपी के सिद्धांतों के मुताबिक सत्ता को लालच के बिना छोड़ देना बेहतर है।

વિજય રૂપાણી એક દિકરીની નજરે કાલે બહુ બધા રાજનીતિક વિશેષજ્ઞ લોકોએ વિજયભાઇના કામો અને એમના ભાજપના કાર્યકાળની ઝીણવટથી વાતો…

Posted by Radhika Rupani on Sunday, September 12, 2021