पुजारी के बेटे ने बिना कोचिंग पास किया JEE मेन्स, कोरोना काल में पढ़ाई छोड़ने के बन गए थे हालात

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक गरीब पुजारी के बेटे ने जेईई मेन्स पास कर लिया है, कोरोना काल में बेटे ने पढ़ाई छोड़ ट्यूशन पढ़ाने का न बना लिया था ।

New Delhi, Sep 17: बिहार के मुजफ्फरपुर में पंडित अशोक तिवारी के बेटे दूधनाथ तिवारी ने जेईई मेन्‍स पास कर लिया है । घर-घर जाकर पूजा पाठ करने वाले पिता को कोरोनाकाल में मुश्किलों से घिरा देखकर बेटे दूधनाथ ने पढ़ाई छोड़ने तक का मन बना लिया था, ट्यूशन पढ़ाकर पापा की मदद करना चाहता था । लेकिन पिता ने बेटे का पढ़ाई जारी रखने को कहा । आज नतीजा ये है कि बेटे ने पूरे क्षेत्र में पिता का नाम रौशन कर दिया है ।

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किराए के मकान में रहते हैं
पंडित अशोक तिवारी के बेटे दूधनाथ तिवारी ने पिता का सपना पूरा कर दिया ।pujari son jee mains (1) पिता घर-घर जाकर पूजा पाठ कराते हैं, इसी कमाई से वो शहर में किराए का मकान लेकर बेटे को पढ़ाते थे । बेटे ने भी पिता के परिश्रम को समझा और  जमीन पर बैठकर ही इतनी लगन से पढाई की कि बिना कोचिंग ट्यूशन के ही जेईई मेन्स पास कर लिया । दूधनाथ तिवारी को जेईई मेन्स में 548वां स्थान मिला । पिता और पुत्र  जेपी कॉलोनी चंदवारा में रहते हैं ।

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बेटे पर है गर्व
देश की कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक मानी जाती है JEE मेंस की परीक्षा, जिसे पास करके दूधनाथ तिवारी ने देश में 548 वां स्थान प्राप्त किया है । पिता अशोक तिवारी को बेटे पर गर्व है, उन्‍होंने कहा कि गरीबी में pujari son jee mains (2)रहकर बेटे ने यह पढ़ाई की है, यह खुद पढ़ाई करता है, मुझे इससे कभी यह नहीं कहना पड़ा कि तुम पढ़ाई करो, हमेशा यही कहना पड़ता था कि अब पढ़ाई बंद करो अब कल पढ़ना। अशोक तिवारी ने आगे कहा कि हमें इस लड़के पर गर्व है और हमें लगता है कि आगे चलकर यह लड़का हमारे इलाके का नाम रोशन करेगा, हम चाहते हैं कि JEE एडवांस में अच्छा करे और अच्छे कॉलेज में इसका नामांकन हो।
(आजतक चैनल से बातचीत)

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कोरोना काल में बहुत परेशान रहे
अशोक तिवारी ने कहा कि यह ईश्वर की कृपा ही है कि मेरा लड़का यहां तक पहुंच गया, हम तो किसी तरह पूजा पाठ करके घर का खर्च चलाते हैं और अपने बच्चे पर खर्च करते हैं । वहीं, बेटे दूधनाथ ने कहा कि समय काफी मुश्किल रहा है । कोरोना काल में आर्थिक समस्या भी बढ़ गईं, कई बार तैयारी छोड़कर ट्यूशन पढ़ाने की सोचने लगा, लेकिन पिताजी ने समझाकर तैयारी करते रहने की बात कही । दूधनाथ ऐसे कई बच्‍चों के लिए प्रेरणा हैं जो सुख सुविधाओं से वंचित होकर पढ़ाई में आगे ना बढ़ने का मन बना लेते हैं । अथक परिश्रम से कुछ भी नामुमकिन नहीं होता ।