पाक-चीन की चाल हुई नाकाम, UN में अपनी बात नहीं रख सकेगा तालिबान, जानिये पूरा मामला
यूएन में अफगानिस्तान के राजनयिक मिशन पर अपदस्थ अशरफ गनी सरकार की प्रतिनिधि को ही मान्यता मिली हुई है, इतना ही नहीं अफगान दूत ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सेशन में हिस्सा भी लिया था।
New Delhi, Sep 23 : संयुक्त राष्ट्र में तालिबान को लेकर पाक और चीन का प्लान फेल हो गया है, संयुक्त राष्ट्र ने तालिबानी सरकार को महासभा में संबोधन पर कोई फैसला नहीं दिया है, अगर यूएन के फोरम पर तालिबान को अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है, तो इसका सीधा मतलब ये निकाला जाता कि तालिबान को पूरी दुनिया ने मान्यता दे दी है, और पश्चिमी देश इस फैसले के खिलाफ जा सकते हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि तालिबान को यूएन जनरल असेंबली में शामिल कराने की बात पर पाक और चीन की चाल नाकाम हो चुकी है।
अफगानिस्तान को मान्यता है
यूएन में अफगानिस्तान के राजनयिक मिशन पर अपदस्थ अशरफ गनी सरकार की प्रतिनिधि को ही मान्यता मिली हुई है, इतना ही नहीं अफगान दूत ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सेशन में हिस्सा भी लिया था, पाक मीडिया के अनुसार अभी अफगान सरकार के प्रतिनिधि तब तक संयुक्त राष्ट्र में मिशन पर कब्जा किये रहेंगे, जब तक परिचय पत्र देने वाली यूएन कमेटी इस पर फैसला नहीं ले लेती है।
क्या है पूरा मामला
15 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को वर्तमान अफगान दूत गुलाम इसाकजई का लेटर मिला है, इसमें उन्होने जोर देकर कहा है कि वो और उनकी टीम के दूसरे सदस्य महासभा की बैठक में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करेंगे, इसके बाद 20 सितंबर को तालिबान के नियंत्रण वाले अफगान विदेश मंत्रालय को लेकर लेटर लिखकर महासचिव से महासभा बैठक में हिस्सा लेने के लिये अनुमति मांगी, अब परिचय पत्र देने वाली कमेटी ये फैसला करेगी कि किसे संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व देना है।
27 सितंबर को महासभा को संबोधित
अफगानिस्तान को आगामी 27 सितंबर को महासभा में संबोधन देना है, इस बात की कोई भी उम्मीद नहीं है कि तब तक कमेटी तालिबान को मान्यता दे दे, वहीं भारत लगातार मांग कर रहे है कि अफगानिस्तान के पूर्ववर्ती सराकर के प्रतिनिधि को ही देश का प्रतिनिधित्व 27 सितंबर को करने दिया जाए।