यूपी चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट विस्तार क्यों किया? सीएम योगी ने खुद बताया, जानिये परदे के पीछे की कहानी

योगी आदित्यनाथ ने कहा, मेरा मानना है कि मैंने देश तथा दुनिया के सामने जो यूपी मॉडल पेश किया है, उसके लिये कैबिनेट में सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व होना चाहिये।

New Delhi, Sep 29 : यूपी विधानसभा चुनाव से 4 महीने पहले योगी सरकार का तीसरा कैबिनेट विस्तार हुआ, सत्ता में दोबारा वापसी के प्रयासों में जुटी बीजेपी सरकार तथा संगठन ने नये कैबिनेट में शामिल 7 मंत्रियों तथा 4 एमएलसी के मनोनयन के जरिये ना सिर्फ जातिय समीकरण साधने की कोशिश की है, बल्कि युवाओं, महिलाओं के साथ अपनी ही पार्टी के चेहरों को तरजीह दी है, लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट का विस्तार क्यों किया गया, इसका जवाब सीएम योगी आदित्यनाथ ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिये खास इंटरव्यू में दिया है।

Advertisement

क्या कहा
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे मंत्रिमंडल में वैकेंसी थी, हमने दुर्भाग्य से अपनी तीन मंत्रियों (चेतन चौहान, कमल रानी वरुण और विजय कश्यप) को कोरोना संक्रमण महामारी में खो दिया, yogi (1) (1) तीन मंत्रियों के खोने के अलावा हमारे पास पहले से 4 वैकेंसी थीं, इन्हें भी भरना था, इससे पहले हमने अगस्त 2019 में अपने कैबिनेट का विस्तार किया, लेकिन कोरोना महामारी फैलने के कारण आगे विस्तार नहीं कर सके, अब जब अपेक्षाकृत स्थिति आसान हो गई है, तो हमने चुनाव से पहले विस्तार करने का फैसला लिया।

Advertisement

यूपी मॉडल
योगी आदित्यनाथ ने कहा, मेरा मानना है कि मैंने देश तथा दुनिया के सामने जो यूपी मॉडल पेश किया है, उसके लिये कैबिनेट में सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व होना चाहिये, yogi-adityanath- मुझे खुशी है कि हमारे कैबिनेट में सभी जातियों तथा समुदायों का प्रतिनिधित्व किया गया है, ये समाज के विभिन्न वर्गों के मंत्रियों से अनुभव प्राप्त करता है।

Advertisement

किसान आंदोलन का चुनाव पर असर
सीएम योगी ने इस बात को लेकर भी पूरी तरह से स्पष्ट हैं कि बीकेयू नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में चल रहे किसान आंदोलन का यूपी चुनाव पर कोई असर पड़ेगा, योगी ने कहा कि ये बिल्कुल स्पष्ट है कि yogi adityanath हमारे प्रतिद्वंदी किसानों के आंदोलन को वित्त पोषित कर रहे हैं, जिसका प्रभाव सिर्फ उन राज्यों में हैं, जहां बिचौलिये और अराथिया काम करते हैं, यूपी में किसान फसल की खरीद और मुआवजे के लिये सीधे सरकार के संपर्क में है, चूंकि विपक्ष के पास कोई अन्य मुद्दा नहीं है, इसलिये वो इस तथाकथित किसान आंदोलन को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं।