गिरफ्तार हुए, जेल गए, शादी भी टूटी, नहीं मानी हार, 41 की उम्र में खड़ा कर डाला सफल स्टार्टअप
संदीप अग्रवाल का नाम भारत में ड्रूम जैसे सफल स्टार्टअप के फाउंडर के रूप में जाना जाता है । संदीप की सक्सेस स्टोरी रोचक है ।
New Delhi, Oct 12: शॉपक्लूज और ड्रूम जैसे सफल स्टार्टअप के फाउंडर संदीप अग्रवाल क सफलता की कहानी प्रेरणादायी है, निजी जीवन के कई उतार-चढ़ाव के बावजूद वो टूटे नहीं हार नहीं मानी और 41 साल की उम्र में वो कर दिखाया जो हर यंगस्टर का अचीव करने का सपना होता है । संदीप, इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप में अमेरिका में एफबीआई द्वारा गिरफ्तार हुए थे और कुछ महीने जेल में भी रहे । इतना ही नहीं उनका पत्नी और पार्टनर राधिका से जबरदस्त झगड़ा हुआ, रिश्ता तलाक की भेंट चढ़ गया और पहला स्टार्टअप बिक गया । लेकिन संदीप रुके नहीं, अब उनका स्टार्टअप Droom , यूनिकॉर्न बन चुका है ।
क्या होता है यूनिकॉर्न ?
क्या यूनिकॉर्न आपके लिए नई टर्म है, हम आपको बताते हैं । दरअसल यूनिकॉर्न उन स्टार्टअप को कहते हैं जिनका वैल्यूएशन एक अरब डॉलर यानी करीब 7500 करोड़ रुपये के पार हो जाता है । आज संदीप के बनाए हुए स्टार्टअप Droom भारत में यूज्ड गाडि़यों की खरीद-फरोख्त के लिए एक जाना-पहचाना नाम बन चुका है । संदीप ने ये स्टार्टअप 2014 में शुरू किया था ।
उतार-चढ़ाव भरा जीवन
संदीप अग्रवाल अमेरिका के वाल स्ट्रीट में एनालिस्ट थे । अग्रवाल ने साल 2011 में अपनी पत्नी और एक दोस्त के साथ मिलकर अमेरिका और भारत में ई-कॉमर्स कंपनी ShopClues की शुरुआत की थी । यह कंपनी काफी सफल रही और यूनिकॉर्न बनी, लेकिन बाद में उनका पत्नी और बिजनेस पार्टनर राधिका से मतभेद हो गया जिसके चलते उन्हें ये कारोबार छेड़ना पड़ा और कंपनी बिक गई । पत्नी से भी तलाक हो गया । साल 2013 में संदीप को एक इनसाइडर ट्रेडिंग के कथित मामले में जेल में डाल दिया गया । हालांकि कुछ ही महीनों बाद वह रिहा हुए और उन पर लगे आरोप भी हटा लिए गए । लेकिन उन्हें शॅपक्लूज के सीईओ पद को छोउ़ना पड़ा ।
2014 में ड्रूम की शुरुआत
एक स्टार्टअप गंवा चुके संदीप के लिए आगे बढ़ने के अलावा कोई चारा नहीं था । साल 2014 में उन्होंने ऑटोमोबाइल के लिए एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस Droom की शुरुआत की, ये भी अब एक यूनिकॉर्न में बदल चुका है । संदीप अब 48 साल के हैं । उनके पिता हरियाणा सरकार में इंजीनियर थे । संदीप की पढ़ाई कुरुक्षेत्र यूनिर्सिटी से हुई है, पहले 1992 में बीकॉम किया और फिर इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से मास्टर्स की पढ़ाई के बाद कुछ साल कई छोटे फर्म में जॉब की । 1999 में वे एमबीए करने के लिए अमेरिका चले गए ।
जुनून से मिलती है सफलता
संदीप अग्रवाल ने कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि कोई भी बिलियनेयर बनने के लिए प्लान नहीं करता, ये यात्रा शुरू होती है अदम्य साहस और जुनून से । कुछ ऐसा करने की इच्छा से जिसे आप ऊंचाईयों तक पहुंचाना चाहते हैं संदीप उन यंगस्टर के लिए कहते हैं जो कुछ करना चाहते हैं,उनके मुतबिक 98 फीसदी लोग अपना काम इसलिए ही शुरू नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि यह आसान नहीं है । लेकिन उद्यमिता वास्तव में आपके दृढ़ निश्चय की परीक्षा होती है, लोग आपको जज करते हैं, लेकिन आपको अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहना होता है । दूसरे लोगों के लिए भले आपका आइडिया धूल हो लेकिन आपको उसे चट्टान समझना होगा।
(खबर इनपुट : आजतक वेबसाइट)