सपा के बागी पर बीजेपी का बड़ा दांव, 37 साल बाद डिप्टी स्पीकर चुनाव की नौबत, परदे के पीछे बड़ा खेल

यूपी के सियासी इतिहास में दूसरी बार विधानसभा डिप्टी स्पीकर पद के लिये वोटिंग की नौबत आई है, अभी तक की राजनीतिक परंपरा के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष का पद सत्तापक्ष तथा उपाध्यक्ष का पद मुख्य विपक्षी दल का होता रहा है।

New Delhi, Oct 18 : यूपी विधानसभा के डिप्टी स्पीकर पद के लिये बीजेपी तथा समाजवादी पार्टी के बीच शह-मात का खेल जारी है, बीजेपी ने हरदोई से सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को आगे किया है, तो सीतापुर की महमूदाबाद सीट से सपा विधायक नरेन्द्र वर्मा भी किस्मत आजमा रहे हैं, ऐसे में डिप्टी स्पीकर पद के लिये वोटिंग की नौबत आई है, सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान सुबह 11 बजे मतदान शुरु होगा, क्रॉस वोटिंग की भी संभावना है।

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दूसरी बार डिप्टी स्पीकर के लिये चुनाव
यूपी के सियासी इतिहास में दूसरी बार विधानसभा डिप्टी स्पीकर पद के लिये वोटिंग की नौबत आई है, अभी तक की राजनीतिक परंपरा के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष का पद सत्तापक्ष तथा उपाध्यक्ष का पद मुख्य विपक्षी दल का होता रहा है, akhilesh-yadav सामान्य तौर पर उपाध्यक्ष पद के लिये चुनाव नहीं होता है, लेकिन अपवाद के तौर पर 1984 में चुनाव मतदान के जरिये किया गया था।

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37 साल बाद
सूबे में 37 साल बाद फिर से विधानसभा उपाध्यक्ष के लिये वोटिंग की नौबत आई है, सपा छोड़कर बीजेपी में आने वाले नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल को सत्तापक्ष ने कैंडिडेट बनाया, तो सपा ने अपने विधायक नरेन्द्र वर्मा को उतार दिया है, Yogi-Adityanath (1) जिसकी वजह से विधानसभा मंडल में वोटिंग होगी, विधानसभा के 403 सदस्यों में से अभी फिलहाल कुल 396 निर्वाचित सदस्य हैं, जिसमें बीजेपी के पास 304 विधायक हैं, जबकि सपा के 49 सदस्य हैं।

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नितिन की जीत तय
विधानसभा में संख्या बल के आधार पर उपाध्यक्ष पद चुनाव में बीजेपी समर्थित प्रत्याशी नितिन अग्रवाल की जीत तय मानी जा रही है, वहीं संख्या बल कम होने के बाद भी सपा ने डिप्टी स्पीकर पद पर नरेन्द्र वर्मा को उतारकर वोटिंग के मुहाने पर खड़ा कर दिया है, हालांकि अखिलेश यादव भी ये बात अच्छे से जानते हैं कि वो चाहकर भी डिप्टी स्पीकर को नहीं जिता सकेंगे, लेकिन 2022 चुनाव को लेकर सियासी संदेश देने की रणनीति है।