हिमाचल में बीजेपी को झटका, तो हरियाणा में किसान आंदोलन का असर, उपचुनाव के 5 बड़े संदेश

क्षेत्रीय दल अपना सियासी वर्चस्व बचाने में सफल रहे हैं, कांग्रेस तथा बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दलों के लिये चुनावी नतीजे कहीं बेहतर तो कहीं चिंता बढाने वाला है, हालांकि हिमाचल में करारी हाल बीजेपी के लिये खतरे की घंटी है।

New Delhi, Nov 03 : देश की 3 लोकसभा तथा 29 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे ने सियासी संदेश देने की कोशिश की है, 5 राज्यों के चुनाव से पहले इन नतीजों ने राजनीतिक दलों की धड़कनें बढा दी है, उपचुनाव में जिसकी सत्ता उसे सियासी फायदा मिलने का ट्रेंड दिखा है, क्षेत्रीय दल अपना सियासी वर्चस्व बचाने में सफल रहे हैं, कांग्रेस तथा बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दलों के लिये चुनावी नतीजे कहीं बेहतर तो कहीं चिंता बढाने वाला है, हालांकि हिमाचल में करारी हाल बीजेपी के लिये खतरे की घंटी है, तो कांग्रेस के लिये इसे 2022 चुनाव से पहले हौसला बढाने वाला माना जा रहा है।

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हिमाचल में बीजेपी के लिये खतरे की घंटी
हिमाचल में कांग्रेस के क्लीन स्वीप ने बीजेपी की चिंता बढा दी है, एक लोकसभा तथा 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, चारों सीटें कांग्रेस के खाते में गई, मंडी लोकसभा सीट पर चुनाव तो सीएम जयराम ठाकुर के नेतृत्व में लड़ा गया, congress-flag (1) जुब्बल-कोटखाई में तो बीजेपी जमानत तक नहीं बचा सकी, हिमाचल के परिणाम बीजेपी के लिये परेशानी पैदा करने वाले हैं, सूबे में अगले साल आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसे 2022 का सेमीफाइनल माना जा रहा था, ऐसे में उपचुनाव के ये नतीजे कांग्रेस के लिये टॉनिक का काम कर सकता है, इतना ही नहीं पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी का चुनाव जीतना हिमाचल में कांग्रेस के लिये हौसला बढाने वाला है।

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जिसकी सत्ता उसकी सीट
उपचुनाव के नतीजों ने ये बात भी साफ कर दी कि जिस प्रदेश में जिसकी सत्ता है, सीट भी उसी की होगी, मसलन असम में बीजेपी की सरकार है, तो वहां की पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगियों की जीत हुई, BJP राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृतिव में कांग्रेस की सरकार है, वहां दोनों सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया, पश्चिम बंगाल में टीएमसी की सरकार है, तो वहां की 4 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में ममता की पार्टी ने जीत हासिल की है, हालांकि हिमाचल इसमें अपवाद भी रहा, हिमाचल में बीजेपी की सरकार है, लेकिन वहां की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है।

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हरियाणा में किसान आंदोलन का असर
हरियाणा में ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे, यहां से इनेलो के अभय चौटाला विधायक थे, उन्होने इसी साल जनवरी में कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफा दे दिया था, ऐलनाबाद को इनेलो का गढ माना जाता है, उपचुनावों में अभय सिंह दोबारा यहां से जीत गये, ऐलनाबाद में अभय सिंह चौटाला की ये लगातार चौथी जीत है, उन्हें सबसे ज्यादा 43.49 फीसदी वोट मिले, हालांकि इसकी वजह किसान आंदोलन को भी माना जा रहा है, किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी उम्मीदवार गोविंद कांडा का लगातार विरोध हो रहा था, हालांकि इसके बावजूद कांडा ने 39 फीसदी वोट हासिल किये, दूसरे नंबर पर रहे, माना जा रहा है कि यहां राकेत टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी जैसे किसान नेताओं ने आकर बीजेपी की मुखालफत भी की थी, जिसका असर देखने को मिला।

बिहार में महागठबंधन को संदेश
कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा उपचुनाव में जदयू ने जीत हासिल की है, जदयू के अमन भूषण हजारी कुशेश्वरस्थान तथा राजीव कुमार सिंह तारापुर से जीत गये, ये दोनों ही सीटें पहले भी जदयू के पास ही थी, कुशेश्वर स्थान में जदयू शुरु से ही आगे रही, लेकिन तारापुर में जदयू और राजद के बीच आखिर तक कांटे की टक्कर चलती रही, JDU (1) उपचुनाव के नतीजे महागठबंधन के लिये बड़ा संदेश भी लेकर आये हैं, उपचुनाव से पहले ही महागठबंधन में तकरार सामने आई गई, राजद और कांग्रेस के बीच तनातनी चलती रही, ये तकरार प्रचार से लेकर वोटिंग तक जारी रहा, वहीं इसके उलट एनडीए एकजुट रहा, दोनों ही जगह कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन कुशेश्वरस्थान में उसे 5 फीसदी तो तारापुर में सिर्फ सवा 2 फीसदी वोट मिले।

5 राज्यों के चुनाव पर असर
ये थे तो उपचुनाव लेकिन इनका असर आने वाले 5 राज्यों के चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है, वो इसलिये क्योंकि ये उपचुनाव एक-दो राज्य नहीं बल्कि देश के 15 राज्यों में हुए थे, bjp-congress-flag अगले कुछ महीनों में यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इन उपचुनावों को विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल भी माना जा रहा था, इन उपचुनाव के नतीजों से आगे की राजनीतिक दिशा तय होगी, क्योंकि इससे देश का मूड पता चल गया है।