‘जीते जी न दें कभी अपने बच्चों को संपत्ति’, विजयपत सिंघानिया का छलका दर्द

रेमंड एक छोटा सा नाम, कब एक बड़ा ब्रांड बन गया । इसके पीछे थी विजयपत सिंघानिया की अटूट लगन । लेकिन उन्‍हें क्‍या पता था जिस कंपनी को उन्‍होने अपने बेटे की तरह पाला पोसा …

New Delhi, Nov 05: एक छोटे से ग्रुप से शुरुआत कर उसे कामयाबी के शिखर तक पहुंचाने वाला शख्‍स दुनिया की नजर में तो मालामाल है लेकिन उसे उसके खुद के बेटे ने कंगाल बना दिया है । विजयपत सिंघानिया का हाल जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे । इस नाम से बहुत कम लोग वाकिफ होंगे, लेकिन इस नाम ने जिस रेमंड ब्रांड को खड़ा किया वो कामयाबी के शिखर पर है और विश्‍व में पहचान रखता है । रेमंड समूह के पूर्व ‘चेयरमैन एमेरिटस’ ने अपनी आत्मकथा ‘एन इनकम्प्लीट लाइफ’ में अपने बचपन से लेकर रेमंड में बिताए कई दशकों और उसके बाद के जीवन का लेखा जोखा बताया है ।

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बेटे को संपत्ति सौंपकर की बड़ी भूल
रेमंड ब्रांड को खड़ा करने वाले विजयपत सिंघानिया मानते हैं कि उनके बेटे के हाथ में कारोबार सौंपना उनकी सबसे बड़ी मूर्खता थी । 1925 में शुरू किए रेमंड जैसे ब्रांड की ना सिर्फ विजयपत ने स्थापना की बल्कि उसे करोड़ों रुपए का ब्रांड भी बनाया । लेकिन बेटे को इसे सौंपना भारी पड़ा गया । विजयपत सिंघानिया पिछले तब सुर्खियों में आए, जब उन्‍होने बताया कि किस तरह उन्‍होने 2015 में अपनी कंपनी बेटे के नाम पर कर दी । रेमंड ग्रुप बेटे गौतम सिंघानिया के नाम करने के बाद उन्‍हें लगा कि अब वो आराम से जिंदगी गुजर बसर कर सकेंगे, लेकिन ये फैसला उनकी जिंदगी का सबसे खराब फैसला बन गया । आज उन्‍हें अपने फैसले पर पछताना पड़ रहा है । उनका कहना है कि उन्होंने जिस बेटे को अपना पूरा कारोबार सौंप दिया उसी ने उन्‍हें घर से बाहर निकाल दिया ।

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बेटे को सौंपा था कारोबार, जीवन की सबसे बड़ी भूल
विजयपत सिंघानिया ने बताया कि साल 2015 में उन्‍होने ने रेमंड ग्रुप के 50% से ज्यादा शेयर अपने 37 वर्षीय बेटे गौतम सिंघानिया को दे दिए थे । साल 2017 में हुए समझौते के बाद विजयपत को मुंबई के मालाबार हिल स्थित 36 महल के जेके हाउस में एक अपार्टमेंट मिलना था । जिसकी कीमत बाजार मूल्य के मुकाबले बहुत कम रखी गई थी । बाद में इस संपत्ति की बिक्री को लेकर बाप-बेटे में विवाद बढ़ गया । अब विजयपत कोर्ट में अपने बेटे के खिलाफ खडे हैं ।

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लोगों को दी सलाह
अपनी किताब में विजयपत सिंघानिया कहते हैं- ‘अनुभव से मैंने सबसे बड़ा सबक सीखा वह ये कि अपने जीवित रहते अपनी संपत्ति को अपनी संतानों को देते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आपकी संपत्ति आपके बच्चों को मिलनी चाहिए लेकिन यह आपकी मौत के बाद ही होना चाहिए। मैं नहीं चाहता कि किसी माता पिता को वह झेलना पड़े जो जिससे मैं हर दिन गुजरता हूं।’  उन्होंने कहा, ‘मुझे मेरे कार्यालय जाने से रोक दिया गया जहां महत्त्वपूर्ण दस्तावेज पड़े हैं और अन्य सामान जो कि मेरा है।’ वो कहते हैं – ऐसा लगता है कि रेमंड के कर्मचारियों को कड़े आदेश दिए गए हैं कि वे मुझसे बात नहीं करें और मेरे कार्यालय में न आएं।’ आपको बता दें, प्रसिद्ध सिंघानिया परिवार में जन्मे विजयपत सिंघानिया से फैमिली बिजनेस में नहीं आना चाहते थे, उन्‍ळोंने बतौर पायलट काम किया । आकाश में दो विश्व कीर्तिमान भी बनाए, वो कुछ समय के लिए प्रोफेसर भी रहे और एक बार मुंबई के शेरिफ भी बने।