कोई नंगे पैर तो कोई नंगे बदन, पद्म श्री लेने ऐसे पहुंचे सच्चे भारतीय, यही है न्यू इंडिया
देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से बीते दिन कई लोगों को सम्मानित किया गया । इनमें से कुछ नाम ऐसे थे जिन्हें पहले कभी किसी ने नहीं सुना । जानें कुछ ऐसे ही सच्चे भारतीयों के बारे में ।
New Delhi, Nov 09: सच्चे भारतीय, जी हां ये शब्द उन लोगों के नाम जिन्होंने बिना किसी लाभ, किसी नाम की परवाह किए बिना सच में देश सेवा की । खुद के पास कुछ ना होकर भी दूसरों के लिए, प्रकृति के लिए एक कदम आगे बढ़ाया । हौसले से काम लिया और अब भारत के सुनहरे इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया । कंगना रनौत, करण जौहर, एकता कपूर इन नामों से तो सभी वाकिफ हैं लेकिन क्या आपने कल से पहले तुलसी गौड़ा का नाम सुना था, या हरेकला का । नहीं ना, आगे पढ़ें कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में जिन्हें पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है ।
पद्मश्री लेने पहुंचीं नंगे पांव, PM मोदी ने किया नमन
कर्नाटक की 72 साल की आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा ‘जंगलों की एनसाइक्लोपीडिया’ कही जाती हैं । सोमवार को उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया। तुलसी अम्मा पारंपरिक पोशाक में नजर आई। नंगे पैर, आधे नंगे बदन में दिखीं तुलसी अम्मा की सादगी दिल जीत लेती है । वहीं उनकी एक तस्वीर भी इंटरनेट पर वायरल हो गई है। इस फोटो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह उन्हें नमन करते नजर आ रहे हैं। तुलसी गौड़ा 1 लाख से अधिक पौधारोपण कर चुकी हैं।
मिसाल हैं कर्नाटक के हरेकाला हजाब्बा
पद्म श्री पुरस्कार पाने वालों में एक नाम हरेकला हजाब्बा का भी है । निरक्षर होकर भी शिक्षा का महत्व समझने वाले हरेकाला ने अपनी जमा पूंजी से बेंगलुरू के पास अपने गांव में साल 2000 में एक स्कूल खोला था। पद्मश्री मिलने के बाद सोमवार को सोशल मीडिया पर इनके नाम की खूब चर्चा हुई । हरेकला नारंगी बेचने का काम करते हैं ।
मोहम्मद शरीफ
पद्म श्री सम्मान पाने वालों में एक नाम मोहम्मद शरीफ का भी है । लावारिश लाशों के मसीहा कहे जाने वाले समाजसेवी मोहम्मद शरीफ को राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री से सम्मानित किया गया । चलने फिरने में असक्षम शरीफ व्हीलचेयर पर पहुंचे थे । मोहम्मद शरीफ के बड़े बेटे मोहम्मद रईस का 28 वर्ष की अवस्था मे इंतकाल हो गया था । जिसके बाद से उन्होंने लावारिश लाशों को ही अपना पुत्र मानकर अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया । अब तक वो 25000 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं।
ऊषा चौमर
पद्म श्री पाने वाले लोगों में राजस्थान के अलवर जिले की सामाजिक कार्यकर्ता ऊषा चौमर भी शामिल हैं। ऊषा 7 साल की उम्र से मैला ढो रही हैं, उनकी महज 10 साल की उम्र में शादी हो गई थी । ससुराल में भी वो यही काम करती रहीं । ऊषा को मंदिर में घुसने की इजाजत नहीं थी। ऊषा ने सुलभ इंटरनेशनल के सहयोग से राजस्थान में स्वच्छता की अलख जगाई। आज 53 साल की ऊषा चौमार सैकड़ों महिलाओं की आवाज हैं।
हिम्मतराम भंभू
पद्म श्री पुरुस्कार से सम्मानित होने वालों में एक नाम हिम्मतराम भंभू जी का भी है, ये एक किसान हैं । पर्यावरण प्रेमी हिम्मतराम नागौर जिले के सुखवासी गांव में जन्मे हैं । उन्हें पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीवों की रक्षा एवं पशु क्रूरता के खिलाफ लम्बे समय तक किए गए संघर्ष एवं कार्यों के कारण पद्म श्री से सम्मानित किया गया है ।