पिता जज की चलाते हैं कार, बेटी खुद बनी न्यायधीश, एक जिद ने बदल दी जिंदगी

अरविंद गुप्ता बेटी की सफलता पर फूले नहीं समां रहे हैं, उन्होने बताया कि वो पिछले 20 साल से कोर्ट में कर्मचारी हैं, वो जज के ड्राइवर के रुप में काम कर रहे हैं, वो कहते हैं कि उन्होने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी एक दिन जज बन जाएगी।

New Delhi, May 01 : प्रतिभा काबिलियत किसी चीज की मोहताज नहीं है, किसी का हौसला बढाना हो, तो उसे ऐसे लोगों के बारे में बताया जाता है, जिन्होने किसी असंभव से लगने वाले सपने को अपनी मेहनत से साकार कर दिया, एमपी के नीमच जिले की एक मेहनती लड़की ने अपनी लगन और मेहनत से अपने भविष्य को उज्जवल बना दिया है, तो लोग अपनी बेटियों को उनकी मिसाल दिया करेंगे, दरअसल नीमच की 25 साल की वंशिता गुप्ता जज की भर्ती परीक्षा पास कर सिविल कोर्ट के जज के रुप में चुनी गई है, उन्हें पूरे प्रदेश में सातवीं रैंक मिली है, खास बात ये है कि वंशिता के पिता अरविंद गुप्ता जिले के एक जज के कार ड्राइवर हैं।

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सबसे बड़ी खुशी
अरविंद गुप्ता बेटी की सफलता पर फूले नहीं समां रहे हैं, उन्होने बताया कि वो पिछले 20 साल से कोर्ट में कर्मचारी हैं, वो जज के ड्राइवर के रुप में काम कर रहे हैं, वो कहते हैं कि उन्होने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था कि  उनकी बेटी एक दिन जज बन जाएगी, अरविंद गुप्ता ने अपने परिवार के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनके पिता यानी वंशिता के दादा रमेश चंद्र गुप्ता भी कोर्ट में ग्रेड-1 रीडर रह चुके हैं, वहां से रिटायर होने के बाद वो अब मंदसौर में वकालत कर रहे हैं।

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मां टीचर
अरविंद गुप्ता ने बताया कि उनकी पत्नी यानी वंशिता की मां सरकारी स्कूल में टीचर हैं, ये कहते हुए उनके आंखों की चमक कई गुना बढ गई, कि अब उनकी बेटी ने अपनी पहली ही कोशिश में सिविल कोर्ट जज भर्ती परीक्षा पास कर परिवार और समाज का नाम रोशन किया है, अरविंद गुप्ता के अनुसार वंशिता ने जयपुर से कानून की पढाई की, इंदौर के एक कोचिंग संस्थान में सिविल जज की भर्ती परीक्षा की तैयारी की।

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यूं बदल गई जिंदगी
वो बताते हैं कि स्कूल में पढाई के दौरान वंशिता पायलट बनना चाहती थी, लेकिन एक दिन वो उनके साथ कोर्ट गई, जज की कुर्सी से जुड़ी प्रतिष्ठा और सम्मान देख जज बनने की ठान ली, जज की भर्ती परीक्षा का परिणाम नीमच के लिये दोहरी खुशी लेकर आया है, जिले की एक और लड़की दीर्घा एरन ने भी अपने दूसरे प्रयास में परीक्षा पास की है, उनके पिता जितेन्द्र एरन जिले में किताब की दुकान चलाते हैं, ऐसे में दोनों की कहानी वायरल हो रही है।