
मुकुल गोयल को हटाये जाने के बाद कौन होगा यूपी का अगला DGP? ये नाम रेस में सबसे आगे

वरिष्ठता में 4 आईपीएस अधिकारियों से नीचे होने के बावजूद डीजी इंटेलिजेंस डॉ. डीएस चौहान को डीजीपी पद के रेस में सबसे आगे माना जा रहा है।
New Delhi, May 12 : यूपी के पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को हटाये जाने के बाद नई तैनाती को लेकर कयासों का बाजार गरम हो गया है, अब मुकुल गोयल के डीजीपी पद से मुक्त करते हुए डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर भेजा गया है, वरिष्ठता में 4 आईपीएस अधिकारियों से नीचे होने के बावजूद डीजी इंटेलिजेंस डॉ. डीएस चौहान को डीजीपी पद के रेस में सबसे आगे माना जा रहा है, डीजी प्रशिक्षण डॉ. आरपी सिंह, डीजी नागरिक सुरक्षा बिश्वजीत महापात्रा, डीजी सीबीसीआईडी गोपाल लाल मीना भी साल 1987 बैच के आईपीएस हैं, आइये जानते हैं कि रेस में किस-किस का नाम शामिल है।
डॉ. देवेन्द्र सिंह चौहान
दावेदारों में सबसे आगे 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी डॉ. देवेन्द्र सिंह चौहान हैं, वर्तमान में वो डीजी इंटेलिजेंस के पद पर तैनात है, इनका रिटायरमेंट मार्च 2023 में होना है, डॉ. चौहान के पास यूपी सतर्कता अधिष्ठान के निदेशक का भी कार्यभार है।
आरपी सिंह
दावेदारों में एक नाम डीजी ईओडब्लयू (आर्थिक अपराध शाखा) तथा एसआईटी के पद पर तैनात 1987 बैच के आईपीएस आरपी सिंह का भी नाम है, वो फरवरी 2023 में रिटायर होंगे, इन्होने कई बड़े केस को सुलझाया है।
आरके विश्वकर्मा
दावेदारों में डीजी भर्ती बोर्ड के आरके विश्वकर्मा का भी नाम है, वो 1988 बैच के आईपीएस हैं, जो मई 2023 में रिटायर होंगे, तेज-तर्रार अधिकारियों में इनकी भी गिनती होती है। 112 यूपी प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने में इनकी बड़ी भूमिका रही है। साथ ही सरकार की जातीय समीकरण की राजनीति के लिहाज से भी इनकी दावेदारी मानी जा रही है।
गोपाल लाल मीणा
1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गोपाल लाल मीणा भी रेस में हैं, वो डीजी राज्य मानवाधिकार आयोग के पद पर तैनात हैं और जनवरी 2023 में रिटायर होंगे, लेकिन इनको भी सीएम योगी की नाराजगी के बाद डीजी होमगार्ड पद से हटाया गया था, इनके कार्यकाल में होमगार्ड में ड्यूटी के नाम पर फर्जीवाड़ा घोटाला सामने आया था, जिसके बाद इन्हें हटाया गया था।
आनंद कुमार
दावेदारों में आखिरी नंबर पर हैं डीजी जेल आनंद कुमार, 1988 बैच के आईपीएस आनंद अप्रैल 2024 में रिटायर होंगे, दावेदारों में सबसे ज्यादा समय इनके पास ही है, कई मामलों के लिये बदनाम यूपी की जेलों को सुधारने के लिये बड़े पैमाने पर काम किया है।