राज्यसभा के लिये नीतीश की पार्टी में रार, अधर में मोदी के मंत्री का भविष्य, जानिये Inside Story
जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने सोमवार को राज्यसभा के उम्मीदवारों में से एक के रुप में अनिल हेगड़े के नाम का ऐलान किया था, लेकिन एक और सीट पर अभी कोई फैसला नही किया गया है।
New Delhi, May 17 : बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू की टॉप लीडरशिप ने अभी तक राज्यसभा के लिये अपने सभी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है, ऐसे में केन्द्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह दोबारा राज्यसभा भेजे जाएंगे या नहीं, इस पर पेंच फंसा हुआ है, मोदी सरकार में जदयू की ओर से आरसीपी अकेले मंत्री हैं, उनका राज्यसभा सांसद के रुप में कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म होने जा रहा है।
आरसीपी को राज्यसभा भेजने को तैयार नहीं जदयू
आपको बता दें कि जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने सोमवार को राज्यसभा के उम्मीदवारों में से एक के रुप में अनिल हेगड़े के नाम का ऐलान किया था, लेकिन एक और सीट पर अभी कोई फैसला नही किया गया है, सूत्रों के अनुसार सीएम नीतीश कुमार और ललन सिंह समेत जदयू का शीर्ष नेतृत्व आरसीपी को राज्यसभा भेजने के पक्ष में नहीं है, जब राज्यसभा के लिये उम्मीदवारों के चयन की बात आती है, तो पार्टी नेता नीतीश कुमार पर जिम्मेदारी डालते थे, लेकिन अब वो फैसले के लिये आगे नहीं आ रहे हैं।
राजा महेन्द्र के निधन से खाली हुई सीट
राजा महेन्द्र के निधन के बाद खाली हुई सीट के लिये ललन सिंह ने सोमवार को पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार के रुप में अनिल हेगड़े के नाम का ऐलान किया, पार्टी के पास अपने कोटे के तहत एक सीट है, लेकिन जिस तरह से नीतीश कुमार इस मुद्दे से दूर रह रहे हैं, उससे लगता है कि उन्होने आरसीपी के भाग्य का फैसला करने की जिम्मेदारी ललन सिंह को दे दी है।
आरसीपी और ललन सिंह के बीच खटास
दोनों के संबंधों में खटास तब से देखी जा रही है, जब आरसीपी जदयू अध्यक्ष थे, उन्होने मोदी कैबिनेट में खुद को आगे किया था, पार्टी ने उन्हें बीजेपी साथ बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी थी, क्योंकि वो दो कैबिनेट और दो राज्य मंत्री चाहते थे, लेकिन आरसीपी ने खुद मंत्री बनने का फैसला लॉया, उस मौके पर ललन सिंह की नजर भी मोदी कैबिनेट में मंत्री बनने पर थी, आरसीपी सिंह के मंत्री बनने के बाद नीतीश ने ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया था। आरसीपी के लिये ये जानना दिलचस्प होगा, कि कितने विधायक उनका समर्थन कर रहे हैं, अगर वो शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी ताकत दिखाने में कामयाब हो जाते हैं, तो वो नीतीश कुमार और ललन सिंह के साथ सौदेबाजी की स्थिति में हो सकते हैं।