क्वाड समिट में ताइवान को लेकर जो बाइडन की धमकी से बौखलाया चीन, दुनिया को दी चेतावनी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने क्वाड समिट की शुरुआत में ही चीन को कड़ा संदेश दे डाला । जिसका अब करारा जवाब आया है । बौखलाए चीन ने धमकी दी है ।
New Delhi, May 24: जापान में क्वाड समिट के लिए पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने बयान से चीन को धमका दिया है । जो बाइडन ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में ताइवान मुद्दे पर चीन को कड़ी चेतावनी दी थी । बाइडन ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि यदि चीन, ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग करता है, तो अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा । जो बाइडन ने यहां स्पष्ट रूप से कहा, ‘हम वन चाइना पॉलिसी को लेकर सहमत हैं । हमने इस नीति पर हस्ताक्षर किया है । लेकिन ताइवान को बलपूर्वक चीन में शामिल नहीं किया जा सकता है । यह अनुचित होगा।’
चीन ने जताई आपत्ति
चीन ने अब जो बाइडन की इस टिप्पणी पर सख्त एतराज जताया है । चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि वह अपने देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे । उन्होंने कहा कि चीनी नागरिकों के संकल्प को कोई कमतर आंकने करने की गलती ना करे । वांग यी ने कहा, ‘ताइवान चीनी क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा है और यह पूरी तरह से चीन का आंतरिक विषय है, जिसमें किसी विदेशी हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है।’
चीन के विदेश मंत्री का बयान
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, ‘चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सहित देश के मुख्य हितों के मुद्दों पर समझौता या रियायत की कोई गुंजाइश नहीं है । चीन अपनी संप्रभुता और सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए ठोस कार्रवाई करेगा । ताइवान का मुद्दा और यूक्रेन का मुद्दा पूरी तरह से अलग है । उनकी तुलना करना बेतुका है.’ उन्होंने अमेरिका से ‘एक चीन नीति’ का सम्मान करने का आग्रह किया । आपको बता दें ताइवान का चीन की मुख्य भूमि के साथ एकीकरण करना राष्ट्रपति शी जिनपिंग का एक बड़ा राजनीतिक वादा है । चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि ताइवान के साथ चीन का फिर से एकीकरण जरूर होगा । उन्होंने यह लक्ष्य पाने के लिए ताकत का इस्तेमाल करने की संभावनाओं को खारिज नहीं किया है ।
क्या है ताइवान का विवाद?
ताइवान खुद को अलग देश मानता है, जबकि चाइना उसे खुद में मिलाना चाहता है । आपको बता दें ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है। यह ‘पहली द्वीप शृंखला’ में मौजूद है, जिसमें अमेरिका समर्थक कई देश स्थित हैं । आपको बता दें दुनिया के सिर्फ 13 देश ही ऐसे हैं जो ताइवान को संप्रभु राष्ट्र मानते हैं । चीन दूसरे देशों पर ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता न देने के लिए कूटनीतिक दबाव बनाता है. चीन की यह कोशिश होती है कि दूसरे देश कुछ ऐसा न करें, जिससे ताइवान को आजाद मुल्क की पहचान मिले । चीन मानता है कि ताइवान उसका एक प्रांत है, जो अंतत: एक दिन फिर से उसका हिस्सा बन जाएगा । दूसरी ओर, ताइवान खुद को एक आजाद मुल्क मानता है । ताइवान का अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है।
"On issues related to China's sovereignty & territorial integrity, China has no room for compromise. No one should underestimate the determination of Chinese people," Chinese FM said, expressing strong dissatisfaction in response to Biden's remarks on #Taiwan question. pic.twitter.com/QgSP1l53SV
— Global Times (@globaltimesnews) May 23, 2022