NDA का मास्‍टर स्‍ट्रोक हैं द्रोपदी मुर्मू, राष्‍ट्रपति पद के लिए इसलिए चुना, Inside Story

द्रोपदी मुर्मू को राष्‍ट्रपति पद का उम्‍मीदवार बनाकर एनडीए ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं । मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना NDA का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है ।

New Delhi, Jun 22: झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव में NDA की उम्मीदवार होंगी । मुर्मू को चुनौती देने के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशंवत सिन्हा होंगे ।  द्रौपदी अगर चुनाव में जीत जाती हैं तो वो देश के सर्वोच्च पद पर बैठने वाली पहली आदिवासी होंगी । द्रौपदी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना NDA का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है, कहा जा रहा है कि बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साध लिए है ।

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एक तीर से कई निशाने
राजनीति गलियारों में कहा जा रहा है कि NDA ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर एक तीर से कई निशानों को साधा है । दरअसल ये नरेंद्र मोदी ने उस अभियान का ही हिस्‍सा है, जिसमें उन्‍होंने केंद्र में सत्ता संभालने के बाद सबका साथ सबका विकास का नारा दिया था । साल 2017 में उन्होंने दलित राष्ट्रपति बनाकर इसे साबित किया और अब आदिवासी महिला का चयन करके नारे को सिद्ध कर दिया है ।

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गौरतलब है कि देशभर में आदिवासियों की संख्या 12 करोड़ से ज्‍यादा है । BJPलेकिन इस तबके की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर भागीदारी अन्य समुदायों के मुकाबले काफी कम है । ऐसे में मुर्मू का नाम देश के सर्वोच्‍च पद के लिए आगे बढ़ाकर यह मैसेज देने की कोशिश की है कि उसके एजेंडे में समरस और सर्वस्पर्शी समाज की परिकल्पना सर्वोपरि है।

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2014 में बनाया था राज्यपाल
अपनी इसी सोच के चलते बीजेपी ने 2014 में झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य की कमान गैर आदिवासी नेता को दी । रघुवर दास को सीएम बनाया गया, उधर, आदिवासी नाराज ना हों, उसके लिए बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल बनाया । संताल आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रोपदी मुर्मू ने अपने कार्यकाल में तब विपक्ष की राजनीति करने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा पर भी असर डाला । बहरहाल, कहा जाता है कि हेमंत सोरेन और द्रौपदी मुर्मू के बीच बेहतर रिश्ते हैं, जिसका फायदा NDA को राष्ट्रपति चुनाव में मिल सकता है । वहीं, सोरेन की पार्टी मुर्मू के खिलाफ जाती है तो बीजेपी को जेएमएम को घेरने का मौका मिल जाएगा । बता दें कि झारखंड विधानसभा के 81 में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है । जिसमें फिलहाल 26 सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस का कब्जा है । झारखंड से सटे ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजेडी) की सरकार है । जिनका समर्थन मुर्मू को पहले ही मिल चुका है ।