IAS से इस्तीफा देकर अटल सरकार में मंत्री, मोदी से बगावत, यशवंत सिन्हा का राजनीतिक सफर

यशवंत सिन्हा ने 1984 में आईएएस से इस्तीफा दे दिया, फिर सक्रिय राजनीति में आ गये, 1986 में उन्हें महासचिव नियुक्त किया गया, फिर 1988 में राज्यसभा के लिये भेजा गया।

New Delhi, Jun 22 : ब्यूरोक्रेट से राजनेता बने यशवंत सिन्हा को विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति से अपना उम्मीदवार घोषित किया है, 1993 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने यशवंत सिन्हा को बीजेपी में शामिल होने की घोषणा करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में इसे पार्टी के लिये दिवाली गिफ्ट कहा था। आडवाणी के बेहद करीबी माने जाने वाले यशवंत सिन्हा 1998 से 2004 की वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्रालय संभाल चुके हैं, इस बीच उन्होने मोदी की उभार के बाद बगावत करते हुए उनके खिलाफ बयानबाजी की, जिसके बाद उन्हें साइडलाइन कर दिया गया। विपक्षी दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर बीजेपी तथा उसके सहयोगियों से यशवंत सिन्हा को समर्थन करने की अपील की, ताकि एक योग्य राष्ट्रपति का निर्विरोध चयन हो सके।

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बिहार में जन्म
6 नवंबर 1937 को पैदा हुए यशवंत सिन्हा ने पटना में स्कूल तथा विश्वविद्यालय की पढाई की, 1958 में उन्होने पटना यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में पारास्नातक पूरा किया, 1958 से 1960 तक अपने ही महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान पढाया, फिर 1960 में आईएएस के लिये चुने गये, वो अपने सेवा के 24 साल के दौरान कई अहम पदों पर रहे।

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बीजेपी में शामिल
यशवंत सिन्हा ने 1984 में आईएएस से इस्तीफा दे दिया, फिर सक्रिय राजनीति में आ गये, 1986 में उन्हें महासचिव नियुक्त किया गया, फिर 1988 में राज्यसभा के लिये भेजा गया। जब वीपी सिंह की अगुवाई में जनता दल का गठन हुआ, तो यशवंत सिन्हा को इसका महासचिव बनाया गया, उनहोने नवंबर 1990 से जून 1991 तक चंद्रशेखर कैबिनेट में वित्त मंत्री के रुप में काम किया, फिर जून 1996 में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने, मार्च 1998 में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कैबिनेट में फिर से वित्त मंत्रालय संभाला।

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बेटे को टिकट दिया, तो नाराज
झारखंड के हजारीबाग लोकसभा सीट से वो चुनाव लड़ते थे, लेकिन 2014 चुनाव में बीजेपी ने उनकी जगह उनके बड़े बेटे जयंत को टिकट दे दिया, जिसके बाद नाराज होकर 2018 में उन्होने सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया। वो लगातार मोदी सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे, उनके बेटे वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री थे, फिर 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वो टीएमसी में शामिल हो गये। मंगलवार को टीएमसी से इस्तीफा देते हुए उन्होने कहा मैं ममता जी का आभारी हूं, कि उन्होने मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दिया, अब समय आ गया है कि जब बड़े राष्ट्रीय हित के लिये मुझे पार्टी से हटकर अधिक विपक्षी एकता के लिये काम करना होगा, मुझे यकीन है कि वो इस कदम को स्वीकार करेंगी।